गिलहरी
यह लेख संपूर्ण गिलहरी प्रजाति (स्कियुरिडे) के बारे में है।साधारणतया "गिलहरियों" के नाम से जानी जाने वाली प्रजाति के लिएवृक्षारोही गिलहरियाँऔर अन्य अर्थों के लिएगिलहरी (स्पष्टतः)देखें.गिलहरियाँछोटे व मध्यम आकार केकृन्तकप्राणियों की विशालपरिवारकी सदस्य है जिन्हें स्कियुरिडे कहा जाता है। इस परिवार मेंवृक्षारोही गिलहरियाँ,भू गिलहरियाँ,चिम्पुंक,मार्मोट(जिसमेवुड्चकभी शामिल हैं),उड़न गिलहरीऔरप्रेइरी श्वानभी शामिल हैं। यह अमेरिका, यूरेशिया और अफ्रीका की मूल निवासी है और आस्ट्रेलिया में इन्हें दूसरी जगहों सेलाया गयाहै। लगभग चालीस मिलियन साल पहले गिलहरियों को पहली बार,इयोसीनमें साक्ष्यांकित किया गया था और यह जीवित प्रजातियों में सेपर्वतीय ऊदबिलावऔरडोरमाइससे निकट रूप से सम्बद्ध हैं।
स्लेटी गिलहरी Grey squirrel (Sciurus carolinensis)
वैज्ञानिक वर्गीकरण
जगत(रेगन्म)
:जंतुसंघ(फाइलम)
:रज्जुकी(Chordataवर्ग(क्लास):स्तनधारी(Mammalia)गण(ऑर्डर):कृंतक(Rodentia)उपगण (सबऑर्डर):स्क्यूरोमोर्फ़ा(Sciuromorpha)कुल(फैमिली):स्क्यूरिडाए(Sciuridae)फ़िशर द वाल्दहाइम,
*.उपकुलRatufinae*.उपकुलSciurillinae*.उपकुलSciurinae*.वंश समूहSciurini*.वंश समूहPteromyini*.उपकुलCallosciurinae*.वंश समूहCallosciurini*.वंश समूहFunambulini*.उपकुलXerinae*.वंश समूहXerini*.वंश समूहProtoxerini*.वंश समूहMarmotini
गिलहरी की कई प्रजातियों में कालेपन की प्रावस्था पाई जाती है। संयुक्त राज्य अमेरिका और कनाडा के बड़ेहिस्से में शहरी क्षेत्रों में सर्वाधिक आसानी से देखी जा सकने वाली गिलहरियाँ पूर्वी ग्रे गिलहरियों का कालापन लिया हुआ एक रूप है।
वुड्चक (Marmota monax),उत्तर अमेरिकाकी एक बड़ी ज़मीनी गिलहरी
व्युत्पत्ति
शब्दस्कुँरिलपहली बार सन १३२७ में साक्ष्यांकित किया गया था, यहएंग्लो-नॉर्मनशब्दएस्कुइरेलसे लिया गया है, जो किप्राचीन फ्रेंचशब्दएस्कुरेलसे लिया गया था और जिसमे किलातिनशब्दस्कियुरसकी भी झलक है यह शब्द भीग्रीकभाषा से लिया गया था। यह शब्द स्वयं भी ग्रीक शब्द σκιουρος,स्किउरोससे आता है, जिसका अर्थ होता है छायादार या घनी पूंछ, जो कि इसके कई सदस्यों के घने उपांग की ओर संकेत करता है।मूलप्राचीन अंग्रेजीशब्द प्रतिस्थापित होने के पहले तक, ācweorna मात्रमध्ययुगीन अंग्रेजी(जैसेअक्वेरना) तक ही चलन में रह सका। प्राचीन अंग्रेजी शब्दसाधारण जर्मनीयमूल का है, जो किजर्मनशब्दोंEichhorn/Eichhörnchenऔरनार्वेइयनशब्दekornसेसजातीयहै।विशेषताएँविशाल पूर्वी गिलहरी की खोपड़ी (जाति रैतुफा) पूर्ववर्ती जाइगोमेटिक क्षेत्र के उत्तम स्कियुरोमार्फास आकार पर ध्यान देंआमतौर पर गिलहरियाँ छोटी जंतु होती हैं, जिनका आकारअफ्रिकीय छोटी गिलहरीकी 7–10 से॰मी॰ (0.23–0.33 फीट)लम्बाई और वज़न मात्र 10 ग्राम (0.35 औंस) से लेकरअल्पाइन मार्मोटतक होता है, जिनकी 53–73 से॰मी॰ (1.74–2.40 फीट) लम्बाई और वज़न 5 से 8 कि॰ग्राम (180 से 280 औंस) से होता है। आमतौर पर गिलहरियों का शरीर छरहरा, पूंछ बालों से युक्त और आँखें बड़ी होती हैं। उनकेरोयें मुलायम व चिकने होते हैं, हालाँकि कुछ प्रजातियों में यहरोयेंअन्य प्रजातियों की तुलना में काफी घने होते हैं। इनका रंग अलग-अलग हो सकता है, जो कि अलग-अलग प्रजातियों और एक ही प्रजाति के मध्य भिन्न भी हो सकता है।पिछले अंगआम तौर पर आगे के अंगों लम्बे होते हैं और उनके एक पैर में चार या पाँच उंगलियाँ होती है। उनके पैरों के पंजे में एकअंगूठाहोता है, हालाँकि यह ख़राब रूप से विकसित होता है पैरों के नीचे अन्दर[1]की तरफ मांसल गद्दियाँ होती हैं।गिलहरी उष्णकटिबंधीयवर्षायुक्तवनों से लेकर अर्धशुष्करेगिस्तानतक में रह सकती हैं और यह सिर्फ उच्च ध्रुवीय क्षेत्रों व् अतिशुष्क स्थानों पर रहने से बचती हैं। वे मुख्य रूप सेशाकाहारीहोती हैं औरबादामऔर बीजों पर जीवित रहती हैं, इनमे से कई कीड़ों को खाती हैं और कुछ तो छोटे रीडधारियों को भी.जैसा कि उनकी आँखों को देखकर पता चलता है, इनकीदृष्टिबहुत अच्छी होती है, जो कि वृक्षों पर रहने वाली प्रजातियों के लिए बहुत ज़रूरी है।चदनेऔर मजबूत पकड़ के लिए इनकेपंजेभी बहुउपयोगी होते हैं[2]. इनमे से कई को अपने ह्रदय व् अंगों पर स्थितलोमके कारणस्पर्शका भी बहुत अच्छा इन्द्रियबोध होता है[1].इनके दांत मूल कृन्तक बनावट के अनुसार होते हैं, जिसमेकुतरनेके लिए बड़े दांत होते हैं जो कि जीवन पर्यंत विकसित होते रहते हैं और भोजन को अच्छी तरह से पीसने के लिए पीछे की तरफ कुछ अंतर, यादंतावाकाशपर चौघढ़ होता है। स्क्युरिड्स के लिए आदर्शदन्त मालासाँचा:Dentition2होतीहै।
आहार
खरगोशव्हिरनकि तरह, गिलहरियाँसैल्लुलोसको पचा नहीं पाती और उन्हेंप्रोटीन,कार्बोहाईद्रेटव्वसाके आधिक्य वाले भोजन पर निर्भर रहना पड़ता है। समशीतोष्ण क्षेत्रों में, गर्मियों का शुरूआती समय गिलहरियों के लिए सर्वाधिक कठिन होता है क्यूंकि उस समय बोये गए बादामों के अंकुर फूटते हैं और वह गिलहरियों के खाने के लिए उपलब्ध नहीं होते, इसके अतिरिक्त इस समय भोजन का कोई अन्य स्रोत भी उपलब्ध नहीं होता। इस दौरान गिलहरी मुख्य रूप से पेड़ों की कलियों पर निर्भर रहती हैं। गिलहरियों के आहार में मुख्यतः अनेकों प्रकार के पौधीय भोजन होते हैं जिसमे किबादाम,बीज,शंकुल,फल,कवकव्हरी सब्जियांशामिल हैं। हालाँकि कुछ गिलहरियाँ मांस भी खाती है, विशेषकर तब जब कि वह अत्यधिक भूखी होती हैं[4]. गिलहरियाँकीड़े, अंडे, छोटीचिड़िया, युवासाँपोंव् छोटेक्रिन्तकोंको खाने के लिए भी जानी जाती हैं। वास्तव में तो कुछ ध्रुवीय प्रजातियाँ पूर्ण रूप से कीड़ों के आहार पर ही निर्भर रहती हैं।भूमि पर रहने वाली गिलहरियों की कई प्रजातियों के द्वारापरभक्षी व्यवहार भी जानकारी में आया है, विशेषकर वह भू गिलहरियाँ जिनके शरीर पर तेरह धारियां पाई जाती हैं[5]. उदाहरण के लिए, बैले ने एक तेरह धारियों वाली भू गिलहरी को एक छोटे चूजे का शिकार करते देखा[6]. विसट्रेंड ने इसीप्रजाति की एक गिलहरी को तुरंत मारा गया सांप खाते हुए देखा[7]. व्हिटेकर ने 139, तेरह धारियों वाली गिलहरियों के पेट का परीक्षण किया और चार नमूनों में उन्हें चिड़िया का मांस मिला जबकि एक में छोटी पूंछ केछछूंदरकेअवशेष मिले[8], ब्रैडली कोसफ़ेद पूंछ वाली मृग गिलहरीकेपेट के परीक्षण के दौरान, लगभग 609 नमूनों में से 10 प्रतिशत में कुछ प्रकार के रीडधारी जंतुओं के अवशेष मिले, जिनमे मुख्यतः कृन्तक व्छिपकलियाँथे[9]. मोर्गार्ट (1985) ने एक सफ़ेद पूंछ वाली मृग गिलहरी को एकछोटे रेशमी चूहेको पकड़ते और खाते देखा.[10]वर्गीकरणरातुफिने परिवार की विशाल ग्रिज्ज्लड गिलहरियाँ (रतुफा मेक्रोरा)प्टेरोमायिनी के दक्षिणी उड़न गिलहरियाँ (ग्लुकोमिस वोलान्स)कल्लोस्किउरीनी परिवार की प्रेवोस्ट्स गिलहरियाँ (केलोस्किउरियस प्रेवोस्ती)ज़ेरिनी परिवार की धारीरहित भू गिलहरियाँ (जेरस रुतिलस)मर्मोतिनी परिवार की अल्पाईन मर्मोट (मर्मोटा मर्मोटा)इस समय पाई जाने वाली जीवित गिलहरियों को 5उप परिवारोंमें बांटा गया है, जिसमे लगभग 50वर्गव् 280प्रजातियाँहैं। गिलहरी का सर्वाधिक पूर्ण जीवाश्म,हेसपेरोपीट्स,चाडरोनियन(प्राचीनइयोसीन, लगभग 35-40मिलियन वर्ष पूर्व) के समय का है और आधुनिक उड़न गिलहरियों के सामान है।[11]नवीनतम इयोसीन सेमायोसीनके दौरान, अनेकों ऐसी गिलहरियाँ थी जिन्हें आज की किसी भी जीवित प्रजाति के वंश के अंतर्गत नहीं रखा जा सकता. कम से कम इनमे से कुछ संभवतः प्राचीनतम,बेसेल,"प्रोटो-गिलहरियाँ" का ही एक प्रकार थी, (आशय यह है कि इसमें जीवित गिलहरियों की संपूर्ण श्रृंखला सेस्वसमक्रितिकताका अभाव था). इस प्रकार के प्राचीन व् पैतृक वितरण व् भिन्नता से यही संकेत मिलता है कि एक समूह के रूप में गिलहरियों का आरम्भउत्तरीअमेरिकासे हुआ था।[12]कभी-कभी मिलने वाले इन अल्पज्ञात जीवाश्मों के अतिरिक्त,जीवित गिलहरियों काजातिवृत्तअत्यंत स्पष्ट व् सरल है। इनके तीन प्रमुख वंश हैं, जिनमे से एक मेंरातुफिने(विशाल पूर्वी गिलहरियाँ) शामिल हैं। इसमें वह कुछ गिलहरियाँ भी शामिल हैं, जो उष्णकटीबंधीयएशियामें पाई जाती हैं। उष्णकटीबंधीयदक्षिणी अमेरिकाकीनव उष्णकटीबंधीयछोटी गिलहरी स्किउरिलिअने परिवार की एकमात्र जीवित सदस्य है। तृतीय वंश अब तक का सबसे विशाल वंश है और अन्य सभी उप परिवारों को सम्मिलित करता है;इसकावितरण लगभग बहुदेशीय है। यह इस परिकल्पना का समर्थन करताहै कि सभी जीवित व् जीवाश्मों के माध्यम से पाई गयी गिलहरियों के उभयनिष्ठ पूर्वज उत्तरी अमेरिका में ही रहते थे, क्यूंकि वही से सर्वाधिक वंशउद्भवितहुए दिखाई पड़ते हैं-यदि उदहारण के लिए यह मान ले कि गिलाहरियों का जन्म यूरेशिया से हुआ था तो उनके प्राचीन वंशों के सुरागअफ्रीकासे मिलने चाहिए, लेकिन अफ़्रीकी गिलहरियों को देखने से यह प्रतीत होता है कि उनका उद्भव काफी आधुनिक है।[12]गिलहरियों के मुख्य समूह को तीन भागों में बांटा जा सकता है, जिसके द्वारा अन्य उप परिवार प्राप्त होंगे।स्किउरिनेपरिवार मेंउड़न गिलहरियाँ(पेट्रोमाइनी) और स्किउरीनी शामिल हैं, जिसमे कि अन्य के साथ साथ अमेरिकी वृक्षारोही गिलहरियाँ भी शामिल हैं;स्किउरीनीको प्रायःएक अलग परिवार के रूप में देखा जाता था लेकिन अब उन्हें स्किउरिने की ही एकजनजातिके रूप में देखा जाता है। दूसरी ओरताड़ गिलहरियों(टेमियास्किउरुस) को सामान्य तौर पर प्रमुख भू गिलहरियों के वंश में सम्मिलित किया जाता है, लेकिन दिखने में वह उड़न गिलहरियों के सामान ही भिन्न होती हैं; इसलिए कभी कभी उन्हें भी एक अलग जनजाति, टेमियास्किउरीनी के रूप में भी देखा जाता है[13].चाहे जो भी हो, मुख्य गिलहरी वंश का त्रिविभाजनजैवभौगोलिकव्पारिस्थितिकदृष्टि से अत्यत सुविधाजनक है, तीन उप परिवारों में से दो लगभग एक ही आकार के हैं, जिनमे से प्रत्येक में लगभग 70-80 के आसपास प्रजातियाँ हैं; तीसरा परिवार अन्य दोनों परिवारों का दुगना है। स्किउरिने के अंतर्गत वृक्षीय (पेड़ पर रहने वाली) गिलहरियाँ आती हैं, जो कि अमेरिका और कुछ सीमा तक यूरेशिया से हैं। दूसरी ओर उष्णकटिबंधीय एशिया मेंकेल्लोस्किउरिनेसर्वाधिक भिन्न है और इसके अंतर्गत वृक्षीय गिलहरियाँ भी सम्मिलित हैं, लेकिन उनकागठनकाफीभिन्न है और वो अधिक "सुन्दर" दिखती हैं, जोकि संभवतः उनके अत्यंत रंगीन र्रोयें के प्रभाव के कारण है।ज़ेरिने-जो कि सर्वाधिक विशाल उपपरिवार है- वह भू गिलहरियों से बना है जिसमे कि अन्य के साथ साथ विशालमर्मोटव् प्रसिद्दप्रेयरी श्वानभी शामिल हैं और अफ्रीका की वृक्षारोही गिलहरियाँ भी; यह अन्य गिलहरियों की अपेक्षा अधिक मिलनसार होती हैं, जबकि अन्य गिलहरियाँ एक साथ पास-पास समूहों में नहीं रहती हैं[12].*.बेसेलव्इन्केर्ते सेडिसस्कियुरिडे(सभीजीवाश्म)*.गेतुलोक्सेरुस*.हेस्पेरोपेटेस*.खेरेम*.ओलिगोस्किउरुस*.लेसिओस्किउरुस*.प्रोस्पेर्मोफिलस*.स्कीउरिओन*.सीमिलिस्किउरुस*.सिनोटैमिअस*.वुल्कैनीस्किउरुस*.उपपरिवारसद्रोम्युरिने(जीवाश्म)*.उपपरिवाररातुफिने- विशाल पूर्वी गिलहरियाँ (1 जाती, 4 प्रजाति)*.उपपरिवार-स्किउरीलिनेनव उष्णकटिबंधीय छोटी गिलहरी(एक प्रतिरूपी)*.उपपरिवारस्किउरीने*.जनजातिस्किउरीनि-वृक्षारोही गिलहरीयां (5 जातियां, सी .38 प्रजातियां)*.जनजातिप्टेरोमयिनी-वास्तविक उड़ान गिलहरी (15 जातियां, सी.45 प्रजातियां)*.उपपरिवारकेल्लोस्किउरिने-सुन्दर एशियाई गिलहरियाँ*.जनजातिकेल्लोस्किउरीनी(13 जातियां, लगभग 60 प्रजातियां)*.जनजातिफ्यूनाम्बूलिनीताड़ गिलहरियाँ (1 गिलहरी जाति,5 प्रजातियां)*.उपपरिवारज़ेरिने-स्थलीय गिलहरियाँ*.जनजातिज़ेरिनी-काँटेदार गिलहरियाँ (3 जाति,6 प्रजातियां)*.जनजातिप्रोटोक्सएरिनी(6 जातियां, सी.50 प्रजातियां)*.जनजातिमर्मोतिनी-भू गिलहरियां, मर्मोट्स, चिप्मुंक्स, प्रैरी श्वान आदि (6 जातियां, सी.90प्रजातियां)
https://youtu.be/xA5QaybBoH8
https://youtu.be/xA5QaybBoH8
No comments:
Post a Comment