Tuesday 16 January 2018

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Complete Heart Attack information

नजरअंदाज न करें, इतने सामान्य लक्षण भी हो सकते हैं साइलेंट हार्ट अटैक का संकेत


क्या हैं हार्ट अटैक के लक्षण(Why is Heart attack)

  • हार्ट अटैक के सभी मामलों में से 25 प्रतिशत साइलेंट हार्ट अटैक के होते हैं।
  • हार्ट अटैक के लक्षणों के बारे में जानना बहुत ज़रुरी है।
  • साइकिलिंग, वॉकिंग और हो सके तो स्वीमिंग नियमित रूप से करें।
  • अगर चाय पीने का मन हो तो हर्बल या ग्रीन टी ही पियें।
  • दिल का दौरा इसलिए पड़ता है कि दिल तक खून पहुंचाने वाली किसी एक या एक से अधिक धमनियों में जमे वसा के थक्के के कारण रुकावट आ जाती है। थक्के के कारण खून का प्रवाह अवरुद्ध हो जाता है। खून नहीं मिलने से दिल की मांसपेशियों में ऑक्सीजन की कमी हो जाती है। यदि जल्दी ही खून का प्रवाह ठीक नहीं किया जाए तो दिल की मांसपेशियों की गति रूक जाती है। अधिकांश दिल के दौरे के कारण मौतें थक्के के फट जाने से होती हैं।

    हार्ट अटैक से मरने वाले करीब एक तिहाई मरीज़ों को तो यह पता ही नहीं होता कि वे हृदय रोगी हैं और अस्पताल पहुंचने से पहले ही दम तोड़ देते हैं। इसके लिए ज़िम्मेदार एक बड़ा कारण यह है कि पहले आए हार्ट अटैक को मरीज़ ने पहचाना ही न हो। ऐसा हार्ट अटैक, जिसके लक्षण अस्पष्ट हों या जिनका पता ही न चले, उसे साइलेंट हार्ट अटैक कहते हैं।

  • साइलेंट" हार्ट अटैक

    हार्ट अटैक के सभी मामलों में से 25 प्रतिशत साइलेंट हार्ट अटैक के होते हैं। साइलेंट हार्ट अटैक से मरीज़ की मौत हो सकती है। साइलेंट हार्ट में मरीज को हार्ट अटैक होता है और उसे पता भी नहीं चलता। हार्ट अटैक के लक्षण दिखाई नहीं देना, मरीज़ द्वारा लक्षणों को नज़रअंदाज़ कर देना या फिर इन्हें समझ ही न पाना साइलेंट हार्ट अटैक के कारण हैं। साइलेंटहार्ट अटैक ज़्यादा घातक होते हैं। इसीलिए हार्ट अटैक के लक्षणों के बारे में जानना बहुत ज़रुरी है। कोई भी लक्षण महसूस होने पर, चाहे वो हल्का ही क्यों न हो और कुछ ही समय के लिए ही क्यों ना हो, डॉक्टर को तुरंत दिखाना चाहिए।

हार्ट अटैक आने पर आमतौर पर ये लक्षण सामने आते हैं



•    पसीना आना एवं सांस फूलना।

•    छाती में दर्द होना एवं सीने में ऐंठन होना।

•    हाथों, कंधों, कमर या जबड़े में दर्द होना।

•    मितली आना, उल्टी होना।



महिलाओं में हार्ट अटैक आने पर कुछ अन्य लक्षण भी देखे जा सकते हैं



•    त्वचा पर चिपचिपाहट, उनींदापन, सीने में जलन महसूस होना।

•    असामान्य रूप से थकान होना।

बरतें थोड़ी सावधानी


अगर किसी को अचानक दिल का दौरा पड़ जाए तो पहला प्रयास यही होना चाहिये कि उसे तुरंत अस्पताल ले जाये। अगर यह तुरंत मुमकिन न हो पाए तो मरीज को हर दस सेकेंड में जोर के खांसने की कोशिश करनी चाहिए खांसने के दौरान मरीज के दिल पर दवाब पड़ता है और खून का प्रवाह दिल की ओर तेज हो जाता है। खांसने के बाद लम्बी और बहरी सांस लेनी चाहिए क्योंकि दिल की धड़कन बढ़ने और बेहोशी आने में केवल दस सेकेंड का वक्त लगता है। इस प्रकिया के द्वारा काफी राहत मिलती है।

अपने दिल को स्वस्‍थ रखने के लिए क्या करें



•    साइकिलिंग, वॉकिंग और हो सके तो स्वीमिंग नियमित रूप से करें।

•    धूम्रपान पूरी तरह से बंद कर दें।

•    अधिक वसा वाला भोजन न करें।

•    अपने भोजन में कम से कम नमक का प्रयोग करें।

•    रोजाना कम से कम 7 घंटे नींद लें।

•    कॉफी और हाई कैफीन की चीजें न लें।

•    अगर चाय पीने का मन हो तो हर्बल या ग्रीन टी ही पियें।

•    रोजाना 8 से 10 गिलास पानी जरूर पिएं।

ब्‍लड प्रेशर कम होना सेप्टिक शॉक के हैं संकेत, ऐसे करें बचाव


  • इंफेक्शन की वजह से शरीर में जो परिवर्तन देखने को मिलते हैं
  • उसे ही सेप्टिक शॉक कहते हैं
  • इस बीमारी में जान भी जा सकती है

सेप्टिक शॉक एक गंभीर बीमारी है। ये बीमारी सेप्सिस नामक बै‍क्टीरिया के कारण फैलती है। इस रोग में ब्लड प्रेशर कम हो जाता है, जोकि जानलेवा हो सकता है। इस बीमारी के लिए आमतौर बैक्टीरिया जिम्मेदार होते हैं मगर कुछ अवस्थाओं में फंगस और वायरस भी इसकी बड़ी वजह बन सकते हैं। इंफेक्शन की वजह से शरीर में जो परिवर्तन देखने को मिलते हैं उसे ही सेप्टिक शॉक कहते हैं, जानने वाली बात यह है कि इस बीमारी में जान भी जा सकती है।

क्या है बीमारी की वजह

इस बीमारी सबसे बड़ी वजह डायबिटीज, ल्यूकिमिया, लिंफोमा, एंटीबायोटिक दवाओं का अत्यधिक प्रयोग, स्टेरॉयड का इस्तेमाल, अंग प्रत्यारोपण आदि है।

सेप्टिक शॉक के लक्षण

सेप्टिक शॉक मस्तिष्क , ह्रदय, गुर्दे या आंतों सहित शरीर के कई हिस्सों को प्रभावित कर सकते हैं। इसके 7 ऐसे लक्षण हैं जो इस बीमारी के संकेत देते हैं। इस अवस्था में त्वचा पीली, ठंडी और चिपचिपी हो जाती है। शरीर का तापमान काफी कम या ज्या दा हो जाती है। चक्कर आना, कम ब्लंड प्रेशर, धड़कनें तेज होना, उल्टी और मतली आना, सांस लेने में परेशानी, बेचैनी और सुस्ती हो जाती है।

सेप्टिक शॉक से बचाव

खून की जांच कराई जाती है, जिसमें पूर्ण रक्त गणना, बैक्टीरिया या अन्य रोगाणुओं की उपस्थिति, रक्त ऑक्सीजन का निम्न स्तर, शरीर में एसिड-बेसिक का संतुलन, खराब अंग समारोह या अंग विफलता छाती का एक्स-रे, रक्त परीक्षण के परिणामों के आधार पर। इसके अलावा अतिरिक्त परीक्षण भी किए जा सकते हैं जैसे- मूत्र परीक्षण, मस्तिष्क और स्पाइनल द्रव परीक्षण, घाव स्रावण परीक्षण आदि!

  • कब्‍ज से हार्ट अटैक और स्‍ट्रोक का खतरा ज्‍यादा रहता है।
  • कब्‍ज के कारण ब्‍लड सर्कुलेशन धीमा हो जाता है
  • जिससे खून का थक्‍का जमने का लगता है।

आमतौर पर कब्‍ज फाइबर युक्‍त भोजन और पानी की कमी के कारण होता है। इसके आलावा फिजिकल एक्‍सरसाइज की कमी और दवाओं का साइड इफेक्‍ट भी इसकी एक वजह है। कब्‍ज कई कारणों से हो सकते हैं। महिलाओं को पुरुषों की तुलना में 2-3 गुना अधिक कब्ज होने की संभावना रहती है। जो लोग पुरानी कब्‍ज से परेशान रहते हैं उनमें हार्ट अटैक और स्‍ट्रोक का खतरा ज्‍यादा रहता है। दरअसल कब्‍ज के कारण ब्‍लड सर्कुलेशन धीमा हो जाता है जिससे खून का थक्‍का जमने का लगता है। हार्ट अटैक और स्‍ट्रोक के कुछ मामलों में कब्‍ज महत्‍वपूर्ण कारण हो सकता है। 

ऐसी स्थिति में क्‍या करें?

भरपूर पानी पीजिए

कब्‍ज से निजात पाना चाहते हैं तो आप भरपूर मात्रा में पानी पीजिए, इससे मल त्‍याग करने में आपको मदद मिलेगी। अगर आप पानी का सेवन कम करते हैं तो अन्‍य पेय पदार्थ जैसे, जूस आदि का सेवन कर सकते हैं।

फाइबर युक्‍त फूड

आप अपने डाइट में फाइबर युक्‍त फूड को शामिल कीजिए, यह आपके पेट को पूरी तरह से साफ करने में मदद करता है। बशर्ते पानी का सेवन भी करना जरूरी है। इससे आपके पेट में गैस या कब्‍ज की समस्‍या नही होगी। बेरी, हरी पत्‍तेदार सब्जियां, बींस, फलियां, अनप्रोसेस्‍ड अनाज में फाइबर भरपूर मात्रा में होता है।

डेयरी प्रोडक्‍ट से रहें दूर  

पनीर, दूध ओर अन्‍य डेयरी प्रोडक्‍ट में लैक्‍टोस होता जो कि पेट में गैस और मरोड़ का कारण बनता है। इसलिए इनसे बचना चाहिए। इसके बजाए आप दही का सेवन कर सकते हैं। इसमें प्रोटीन भी होता है और नुकसानदेह नही होता है।

मैग्‍नीशियम फूड  

अपने खाने में मैग्‍नीशियम युक्‍त फूड को शामिल करे।  यह कब्‍ज के लिए काफी कारगर होते हैं। यह आंत से मल को ठीक तरह से साफ करते है।

जंक फूड से दूरी  

हम में से ज्‍यादातर लोगों को फ्राइड फूड बहुत पसंद होता है। जिन्‍हें कब्‍ज की समस्‍या रहती है या जो लोग चाहते हैं कि उन्‍हें कब्‍ज न हो तो जंक फूड से दूरी बनाइए। क्‍यों कि इसमें फैट और सुगर की मात्रा बहुत ज्‍यादा होती है।

व्‍यायाम और योग  

इन सबके साथ सबसे महत्‍वपूर्ण है एक्‍सरसाइज करना। स्‍वस्‍थ्‍य शरीर के लिए एक्‍सरसाइज बहुत जरूरी होता है। योग और प्रणायाम भी कर सकते हैं।

सिर्फ 3 दिन तक खाएं ये चीज, कभी नहीं आएगा हार्ट अटैक!

  • सिर्फ 3 दिन तक खाएं ये चीज।
  • कभी नहीं आएगा हार्ट अटैक।
  • घर में करें हार्ट अटैक का इलाज।

हार्ट अटैक एक बहुत ही गंभीर रोग है। हार्ट अटैक को दिल का दौरा पड़ना भी कहते हैं। अधिकतर लोगों को हार्ट अटैक तब पड़ता है जब दिल तक खून पहुंचाने वाली किसी एक या एक से अधिक धमनियों में जमे वसा के थक्के के कारण रुकावट आ जाती है। पहले के समय में सिर्फ उम्रदराज लोगों को ही हार्ट अटैक होता था। लेकिन आजकल के बिगड़ते लाइफस्टाइल और तनाव भरे जीवन के चलते आजकल नौजवान भी हार्ट अटैक के रोगी हो रहे हैं। हार्ट अटैक के रोगियों को कभी कभी यह पता ही नहीं होता कि वे हृदय रोगी हैं। क्योंकि जब उन्हें अपने शरीर में इस बीमारी के लक्षण दिखाई देते हैं तो वे उन्हें नजरअंदाज कर देते हैं। जिसके चलते बाद में गंभीर परिााम भुगतने पड़ते हैं।
हार्ट अटैक के मरीज अगर पहले से ही शरीर में दिखने वाले लक्षणों को गंभीरता से लें तो मामले पर काबू पाया जा सकता है। हार्ट अटैक से करीब एक महीने पहले से सीने में हल्का दर्द, सांस लेने में दिक्कत, फ्लू की समस्‍या, मितली, ब्लड प्रेशर को लो या हाई होना, अधिक पसीना आना, कमजोरी महसूस होना, तनाव और घबराहट जैसे लक्षण दिखने देने लगते हैं।
हालांकि जब हार्ट अटैक अपने चरम पर पहुंच जाए तो उस स्थिति में दवाई लेना सही है। लेकिन एक आम इंसान को जिसे कभी हार्ट अटैक नहीं आया है या जिसे हार्ट अटैक के लक्षण शरीर में दिखते हैं तो उसे प्राकृतिक चीजों का सहारा लेना चाहिए। आज हम आपको हार्ट अटैक से बचने के लिए गेंहू के जबरदस्त फायदे बता रहे हैं। यानि कि अंकुरित गेंहू को खाने से शरीर को स्वस्थ रखा जा सकता है। 
अंकुरित गेंहू के द्धारा हार्ट अटैक से बचने के लिए सबसे पहले गेंहू को 10 मिनट के लिए पानी में उबालें और फिर उन्हें अंकुरित करने के लिए किसी कपडे में बांध कर रख लें। ऐसा करने से गेंहू अच्छी तरह अंकुरित हो जाएंगे। जब गेंहू में करीब 1 इंच तक लंबे अंकुर हो जाएं, तो रोज आधी कटोरी सुबह खाली पेट उन्हें खाएं। सिर्फ 3 से 4 दिन तक ही ऐसा करने से आपको अपने शरीर में काफी बदलाव दिखेगा और जीवन में हार्ट अटैक आने के चांस भी बहुत कम हो जाते हैं।
अब अगर आपके मन में यह सवाल आ रहा है कि अगर गेंहू को उबालेंगे तो यह अंकुरित कैसे होंगे? तो आपको बता दें कि जब उबले हुए गेंहू को अंकुरण के लिए रखा जाता है तो उनमें से लगभग 5-10% गेंहू में ही वो सामर्थ्य होता है कि वो अंकुरित हो जाएं और जिन गेंहू में उबलने के बाद ये सामर्थ्य होता है वही हार्ट अटैक के लिए औषधी साबित होते हैं।

सर्दियों में दिल को दुरूस्‍त रखेंगी डॉक्‍टर की ये 5 सलाह

  • नियमित तौर पर अपने ब्लड प्रेशर की जांच करानी चाहिए
  • ताकि यह पता चल सके कि उनका ब्लड प्रेशर सामान्य है या नहीं।
  • डॉक्टर से परामर्श लेकर दवाओं की डोज सुनिश्चित कराएं।

जो लोग हाई ब्लडप्रेशर से पीडि़त हैं, उन्हें खानपान में नमक की मात्रा कम से कम करनी चाहिए। उन्हें नियमित तौर पर अपने ब्लड प्रेशर की जांच करनी या करानी चाहिए ताकि यह पता चल सके कि उनका ब्लड प्रेशर सामान्य रेंज में है या नहीं। यदि नहीं तो फिर डॉक्टर से परामर्श लेकर दवाओं की डोज सुनिश्चित कराएं। सीनियर कार्डिएक सर्जन (मेदांत दि मेडिसिटी गुड़गांव) डॉ. नरेश त्रेहन बता रहें ह्रदय संबंधी रोगियों से जुड़ी 5 प्रमुख बातें...

डॉक्‍टर की 5 सलाह

1- सर्दियों में दिल का दौरा (हार्ट अटैक) पड़ने के मामले बढ़ जाते हैं। हृदय रोगियों को कड़ाके की ठंड से बचना चाहिए।

2- हाई ब्लडप्रेशर और हृदय रोगियों को टहलने की आदत को बरकरार रखना चाहिए, लेकिन उन्हें तड़के और देर शाम नहीं टहलना चाहिए। खिली धूप निकलने के बाद ही टहलने जाएं।

3- जिन लोगों के दिल की मांसपेशियां कमजोर हो चुकी हैं, ऐसे लोगों में सांस लेने में तकलीफ की समस्या पैदा हो सकती है। इन लोगों के पैरों में सर्दियों के मौसम में पैरों में सूजन हो जाती है। ऐसे लोगों को कुछ ऐसी दवाएं दी जाती हैं, जिनसे मरीजों को पेशाब ज्यादा होता है, जिससे उनके शरीर में से अतिरिक्त पानी निकल जाता है।
इन पीडि़त लोगों के संदर्भ में अगर हृदय रोग विशेषज्ञ साल्ट कम लेने और पानी कम पीने की सलाह देते हैं, तो सर्दियों के मौसम में विशेषज्ञ की इस सलाह पर सख्ती से अमल करना चाहिए। अगर कोई भी तकलीफदेह लक्षण सामने आएं, तो शीघ्र ही हृदय रोग विशेषज्ञ से परामर्श लें।

4- सर्दियों में सीने में संक्रमण, दमा और ब्रॉन्काइटिस की समस्याओं के गंभीर होने की आशंकाएं बढ़ जाती हैं। अगर कोई व्यक्ति पहले से ही हृदय रोग से ग्रस्त है, तो उपर्युक्त रोगों से उसकी हालत और भी खराब हो सकती है। ऐसी स्थिति आने के पहले ठंड से और प्रदूषण से बचने के लिए हरसंभव उपाय करें। शरीर को गर्म रखने के लिए पर्याप्त ऊनी वस्त्र पहनें।

5- सांस संबंधी किसी भी तकलीफ के सामने आने पर शीघ्र इलाज कराएं। इस मौसम में कुछ विशेष तरह के संक्रमण ज्यादा खतरनाक होते हैं, जिनमें इंफ्लुएंजा और न्यूमोकोकल संक्रमण प्रमुख हैं। इनसे बचाव के लिए डॉक्टर से संपर्क कर टीका लगवाएं।

ह्रदय रोगियों की दुश्‍मन है सर्दियां, ये हैं 4 बड़े दुष्‍प्रभाव

  • आपका दिल इस मौसम में स्वस्थ बना रह सकता है
  • मौसम में बदलाव का असर मानव शरीर पर भी पड़ता है।
  • सर्दियों के मौसम में शरीर पर ये प्रभाव पड़ते हैं..

सर्दियों का मौसम दस्तक दे चुका है। इस मौसम की एक अलग खासियत है, लेकिन जो लोग हाई ब्लडप्रेशर और हृदय रोगों से ग्रस्त हैं, उनके लिए यह मौसम कुछ समस्याएं उत्पन्न कर सकता है। बावजूद इसके, कुछ सजगताएं बरतकर आप और आपका दिल इस मौसम में स्वस्थ बना रह सकता है.. मौसम में बदलाव का असर मानव शरीर पर भी पड़ता है। शरीर में परिवर्तन होते हैं। सर्दियों के मौसम में शरीर पर ये प्रभाव पड़ते हैं..

रक्त वाहिनियों में सिकुड़न

इस मौसम में रक्त-वाहिकाएं (ब्लड वैसल्स)शरीर की गर्मी को संरक्षित (कॅन्जर्व) करने के प्रयास में सिकुड़ जाती है। इसके अलावा सर्दियों में आम तौर पर (सामान्य स्थिति में) पसीना भी नहीं निकलता। इस कारण शरीर में साल्ट संचित हो जाते हैं, जिसके परिणामस्वरूप रक्तचाप (ब्लड-प्रेशर) बढ़ जाता है। ब्लड प्रेशर के बढ़ने से दिल पर अतिरिक्त दबाव पड़ता है। इन सब कारणों से वे हृदय रोगी जो पहले स्वयं को ठीक महसूस कर रहे थे, उनकी दशा बिगड़ सकती है। ऐसे मरीजों को सांस लेने में दिक्कत होती है और इनके शरीर में सूजन आ सकती है।

फेफड़ों पर दुष्प्रभाव

सर्दियों में वाइरल इंफेक्शन और गले व सांस की नलियों में संक्रमण होने की आशंकाएं बढ़ जाती हैं। इन संक्रमणों का दुष्प्रभाव फेफड़ों पर पड़ता है। फेफड़े और दिल आपस में करीबी तौर से एक-दूसरे से सम्बद्ध हैं। इन संक्रमणों के कारण दिल पर बुरा असर पड़ता है।

खानपान का असर

सर्दियों में सामाजिक समारोह और कई त्योहार पड़ते हैं। वैसे भी अन्य ऋतुओं की तुलना में सर्दियों में भूख कुछ ज्यादा या खुलकर लगती है। इस स्थिति में लोग वसायुक्त चटपटे आहार ज्यादा ग्रहण करते हैं, जिससे शरीर में नमक की मात्रा बढ़ती है। मौसम के नाम पर अनेक लोग शराब की मात्रा बढ़ा देते हैं। इन सब का दिल पर प्रतिकूल असर पड़ता है।

व्यायाम व शारीरिक श्रम में कमी

सर्दियों के कारण आम तौर पर लोग कंबल लपेट कर लेटे रहना कहीं ज्यादा पसंद करते हैं। वे नियमित रूप से व्यायाम नहीं करते। इस कारण उनका वजन बढ़ने लगता है। वजन बढ़ना दिल की सेहत के लिए हानिकारक है।

इन 3 हेल्‍दी फूड से ब्‍लड प्रेशर रहेगा नियंत्रित, नहीं होगी दिल की समस्‍या

  • तेज रफ्तार जिंदगी लोगों में ब्लड प्रेशर की समस्या पैदा कर रही हैं
  • जितना घातक हाई ब्लड प्रेशर होता है उतना ही नुकसानदेह लो ब्लड प्रेशर
  • 90/60 एमएम एचजी को लो ब्लड प्रेशर की स्थिति माना जाता है

तनावपूर्ण और तेज रफ्तार जिंदगी लोगों में ब्लड प्रेशर (रक्तचाप) की समस्या पैदा कर रही हैं। विशेषज्ञों की मानें तो जितना घातक हाई ब्लड प्रेशर होता है उतना ही नुकसानदेह लो ब्लड प्रेशर। लो ब्लड प्रेशर की स्थिति वह होती है कि जिसमें रक्तवाहिनियों में खून का दबाव काफी कम हो जाता है। सामान्य रूप से 90/60 एमएम एचजी को लो ब्लड प्रेशर की स्थिति माना जाता है। अगर आप भी ब्‍लड प्रेशर की समस्‍या से जूझ रहे हैं तो आपके लिए कुछ फूड्स हैं जिससे आप इस पर काबू पा सकते हैं।

जटामानसी

जटामानसी नामक एक आयुर्वेदिक औषधि भी लो ब्लड प्रेशर का निदान करने में मददगार है। जटामानसी का कपूर और दालचीनी के साथ मिश्रण बनाकर सेवन कर सकते हैं। इसके अलावा जटामानसी के अर्क (पानी के साथ उबालकर) को पीने से भी लो ब्लड प्रेशर की समस्या से छुटकारा पाया जा सकता है। एप्सम नमक (मैग्नीशियम सल्फेट) से स्नान लो ब्लड प्रेशर को ठीक करने का सबसे सरलतम इलाज है। इसके लिए पानी में करीब आधा किलो एप्सम नमक मिलाएं और करीब आधा घंटा पानी में बैठें। बेहतर होगा कि सोने के पहले यह स्नान करें।

ड्राईफ्रूट

50 ग्राम देशी चने व 10 ग्राम किशमिश को रात में 100 ग्राम पानी में किसी भी कांच के बर्तन में रख दें। सुबह चनों को किशमिश के साथ अच्छी तरह से चबा-चबाकर खाएं और पानी को पी लें। यदि देशी चने न मिल पाएं तो सिर्फ किशमिश ही लें। इस विधि से कुछ ही सप्ताह में ब्लेड प्रेशर सामान्य हो सकता है। रात को बादाम की 3-4 गिरी पानी में भिगों दें और सुबह उनका छिलका उतारकर कर 15 ग्राम मक्खन और मिश्री के साथ मिलाकर बादाम-गिरी को खाने से लो ब्लड प्रेशर नष्ट होता है। प्रतिदिन आंवले या सेब के मुरब्बे का सेवन लो ब्लेड प्रेशर में बहुत उपयोगी होता है।

भोजन में बढ़ाएं पोषक तत्वों की मात्रा

प्रोटीन, विटामिन बी और सी लो ब्लड प्रेशर को ठीक रखने में मददगार साबित होते हैं। ये पोषक तत्व एड्रीनल ग्रंथि से निकलने वाले हार्मोनों के स्राव में वृद्धि कर लो ब्लड प्रेशर को तेजी से सामान्य करते हैं।लो ब्लड प्रेशर को दूर करने के लिए ताजे फलों का सेवन करें। दिन में करीब तीन से चार बार जूस का सेवन करना फायदेमंद रहेगा। जितना संभव हो सके, लो ब्लड प्रेशर के मरीज दूध का सेवन करें। लो ब्लड प्रेशर को सामान्य रखने में चुकंदर का जूस काफी कारगर होता है। जिन्हें लो ब्लड प्रेशर की समस्या है उन्हें रोजाना दो बार चुकंदर का जूस पीना चाहिए। हफ्ते भर में आप अपने ब्लड प्रेशर में सुधार पाएंगे।

लो ब्लड प्रेशर के मरीजों के लिए पैदल चलना, साइकिल चलाना और तैरना जैसी कसरतें फायदेमंद साबित होती हैं। इन सबके अलावा सबसे जरूरी यह है कि व्यक्ति तनाव और काम की अधिकता से बचें।

ब्‍लड प्रेशर बढ़ने का संकेत है ये 7 लक्षण, कभी ना करें अनदेखा

  • व्यक्ति का उच्चतम रक्‍तचाप 120 तथा न्यूनतम 80 होता है।
  • सेहतमंद रहने के लिए रक्‍तचाप सामान्य रहना बहुत जरूरी है।
  • दुनिया में बड़ी संख्‍या में लोग हाई ब्‍लड प्रेशर की समस्‍या से ग्रस्‍त हैं।

हाई ब्‍लड प्रेशर आधुनिक जीवनशैली में आम स्‍वास्‍थ्‍य समस्‍या बन गई है। सामान्य स्वास्थ्य वाले व्यक्ति का उच्चतम रक्‍तचाप 120 तथा न्यूनतम 80 होता है। सेहतमंद रहने के लिए रक्‍तचाप सामान्य रहना बहुत जरूरी है। एक अनुमान के मुताबिक, दुनिया में बड़ी संख्‍या में लोग हाई ब्‍लड प्रेशर की समस्‍या से ग्रस्‍त हैं। उच्‍च रक्‍तचाप की समस्‍या में धमनियों में रक्‍त का दबाव बढ़ जाता है। दबाव की इस वृद्धि के कारण धमनियों में रक्‍त प्रवाह सुचारू बनाये रखने के लिये दिल को अधिक काम करने की आवश्यकता पड़ती है। अधिकतर लोग इस समस्‍या को अनदेखा कर देते हैं। कुछ ही लोग दवाओं का सेवन कर रक्‍तचाप को सामान्‍य रखते हैं।
अध्‍ययनों से साफ हुआ है कि उच्‍च रक्‍तचाप के 85 फीसदी मरीज समय से अपनी दवाई नहीं लेते। यदि आप खुद से प्‍यार हैं, तो रक्‍तचाप को नियंत्रण में रखें। हो सकता है आपको हाई ब्‍लड प्रेशर के लक्षणों के बारे में जानकारी न हों। इस लेख के जरिए हम आपको बता रहे हैं उच्‍च रक्‍तचाप के सामान्‍य लक्षणों के बारे में।

शुरुआती लक्षण

उच्‍च रक्‍तचाप के प्रारंभिक लक्षण में संबंधित व्‍यक्ति के सिर के पीछे और गर्दन में दर्द रहने लगता है। कई बार इस तरह की परेशानी को वह नजरअंदाज कर जाता है, जो आगे चलकर गंभीर समस्‍या बन जाती है।

तनाव होना

यदि आप खुद को ज्‍यादा तनाव में महसूस कर रहे हैं, तो यह उच्‍च रक्‍तचाप का संकेत हो सकता है। ऐसे में व्‍यक्ति को छोटी-छोटी बातों पर गुस्‍सा आने लगता है। कई बार वह सही-गलत की भी पहचान भी नहीं कर पाता। किसी भी समस्‍या से बचने के लिए जरूरी है कि आप जांच करा लें।

सिर चकराना

उच्‍च रक्‍तचाप के लक्षणों में सिर चकराना भी आम है। कई बार शरीर में कमजोरी के कारण भी सिर चकराने की परेशानी हो सकती है। ऐसे कोई लक्षण दिखाई दें, तो पहले अपने डॉक्‍टर से परामर्श कर लें।

थकावट होना

यदि आपको थोड़ा काम करने पर थकान महसूस होती है या जरा सा तेज चलने पर परेशानी होती है या फिर आप स‍ीढि़यां चढ़ने में काफी थक जाते हैं, तब भी आप उच्‍च रक्‍तचाप से ग्रस्‍त हो सकते हैं।

नाक से खून आना

सांस न आना, लंबी सांस आना या सांस लेने में परेशानी होने पर एक बार अपने चिकित्‍सक से संपर्क करें। ऐसे में व्‍यक्ति के उच्‍च रक्‍तचाप से ग्रस्‍त होने की प्रबल आशंका होती है। साथ ही यदि नाक से खून आए, तब भी आपको जांच करानी चाहिए।

नींद न आना

आमतौर पर उच्‍च रक्‍तचाप के रोगियों के साथ यह समस्‍या होती है कि उन्‍हें रात में नींद आने में परेशानी होती है। हालांकि यह परेशानी किसी चिंता के कारण या अनिंद्रा की वजह से भी हो सकती है।

हृदय की धड़कन बढ़ना

यदि आप महसूस करते हैं कि आपके हृदय की धड़कन पहले के मुकाबले तेज हो गई हैं या आपको अपने हृदय क्षेत्र में दर्द महसूस हो रहा है, तो यह उच्‍च रक्‍तचाप का भी कारण हो सकता है।

घर पर बनाएं गोभी की ऐसी डिश, दूर रहेंगे हद्य रोग

  • गोबी के स्वास्थ्य लाभ।
  • सेहत के लिए फायदेमंद है गोभी।
  • हद्य रोगों से मिलता है छुटकारा

हद्य रोग आजकल एक सामान्य समस्या की तरह हो गया है। भागदौड़ भरी जिंदगी के चलते अनियमित खानपान और तनाव भरे जीवन के चलते आजकल हद्य रोग की समस्या बहुत ही आम हो गई है। हद्य रोग ऐसी जानलेवा बीमारी होती हैं जिनसे सीधा मौत होने का खतरा रहता है। अब सर्दियां आने वाली हैं। वैसे लगभग आ भी गई। ऐसे में इस मौसम की सबसे पंसदीदा और प्रचलित सब्जी गोबी है। गोबी सिर्फ स्वादिष्ट ही नहीं बल्कि कई स्वास्थ्य लाभों से भी भरपूर है। आज हम आपको गोभी की एक ऐसी डिश के बारे में बता रहे हैं जो आपके लिए बहुत फायदेमंद हो सकती है।
गोभी सर्दियों की सब्जी है। शुरुआती सर्दी में ही बाजारों में गोभी की बिक्री शुरू होने लगी है। अधिकतर बच्चे, बड़े और बूढ़े सभी गोभी को पसंद करते हैं। जब बच्चे रेस्तरां में जाते हैं तो उन्हें वहां की गोभी बहुत पसंद आती है। लेकिन जब वही गोभी घर में बनती है तो बच्चे नाक निकोड़ लेते हैं। लेकिन अब आप घर पर ही रेस्टोरेंट स्टाइल में आलू गोभी की सब्जी बना सकते हैं। कैसे? क्योंकि आज हम आपको होटल की तरह की गोभी को घर में बनाने की तरकीब बता रहे हैं। आइए जानते हैं कैसे बनेगी ये गोभी।

सामग्री 

गोभी - का फूल- 1
आलू - लगभग 350 ग्राम
टमाटर - 2 (150 ग्राम)
अदरक - 1 से 1.5 इंच
हरी मिर्च - 2
हरा धनिया - 2-3 बडे़ चम्मच (बारीक कटा हुआ)
तेल - तलने के लिए और सब्जी बनाने के लिये
जीरा - ½ छोटी चम्मच
हींग - 1 पिंच
हल्दी पाउडर - 1/4 छोटी चम्मच
साबुत गरम मसाला - 2 बडी़ इलायची, ½ इंच दालचीनी, 3 लौंग, 8-10 काली मिर्च
धनिया पाउडर - 1.5 छोटी चम्मच
गरम मसाला - ¼ छोटी चम्मच
लाल मिर्च पाउडर - ½ छोटी चम्मच
कसूरी मेथी - 2 छोटे चम्मच
नमक - स्वादानुसार

स्वादिष्ट आलू गोभी

गोभी के डंठल हटा कर छोटे टुकड़े में काट कर धो लें। आलु को भी छील लें और धो कर एक—एक आलू को 6 टुकड़ों में काट लें। टमाटर, अदरक और हरी मिर्च को पीसकर अच्दी तरह पेस्ट बना लें। अदरक को लम्बे-लम्बे पतले टुकड़ों में काट लें।
अब कढा़ई में तेल डालकर गर्म करें। तेल गर्म होने पर आलू डालकर हल्का ब्राउन होने तक तल लें। अब इस तेल में गोभी भी हल्की ब्राउन होने तक तल लें। अब कढ़ाई में 2-3 टेबल स्पून तेल छोड़ कर अतिरिक्त तेल निकाल दें। तेल में जीरा और हींग डालकर भून लें। फिर कटा हुआ अदरक, हल्दी पाउडर, धनियां पाउडर, हरी मिर्च और दरदरा कुटा हुआ गरम मसाला और कसूरी मेथी डालकर भून लें। इसमें टमाटर, अदरक, हरी मिर्च का पेस्ट डाल दें और लाल मिर्च पाउडर डाल कर तब तक भूनें, जब तक मसाले के ऊपर तेल न तैरने लगे।
मसाला भून जाने पर इसमें ½ कप पानी, नमक, गरम मसाला डालकर उबलने दें। कुछ देर उबलने के बाद इसमें तले हुए गोभी-आलू और हरा धनिया डाल कर मिक्स कर दें और ढककर 3-4 मिनट के लिए धीमी आंच पर पका लें। अब आप देखेंगे कि होटल स्टाइल में आलू गोभी की सब्जी आपकी किचन में तैयार है। इसे परोसे और मजा लें।
हार्ट अटैक, ह्रदय घात या दिल का दौरा, इन तीनों शब्‍द का मतलब एक ही है। दिल का दौरा किसे और कब आ जाए यह कोई नहीं जानता। इसका कोई निश्चित समय नहीं होता है। कभी-कभी तो इसका कोई संकेत भी नहीं मिल पाता है। दरअसल, शरीर में खून पहुंचाने के लिए दिल किसी पंप की तरह काम करता है, और इस पंप को चालू रखने के लिए दिल तक खून पहुंचाने वाली रक्त वाहिका को ही कोरोनरी ऑरटरी कहा जाता है।
ज्‍यादातर लोगों को पता ही नहीं होता कि वे कोरोनरी ऑरटरीज डिजीज (सीएडी) से पीड़ित हैं। सीएडी पीड़ित लोगों को या तो सांस लेने में परेशानी होती है या फिर पैर और टखनों में सूजन आ जाती है। और एक समय ऐसा आता है जब दिल से जुड़ी उनकी ऑरटरी पूरी तरह से काम करना बंद कर देती है और तभी दिल का दौरा पड़ता है। तो चलिए आज हम आपको एक्‍सपर्ट के माध्‍यम से बता रहे हैं कि, हार्ट अटैक आने के बाद कैसे मरीज की जान बचाई जा सकती है।

एक्‍सपर्ट की राय

वैशाली गाजियाबाद स्थित नवीन अस्‍पताल के ह्रदय रोग विशेषज्ञ डॉक्‍टर ओमकार सिंह ने बताया कि, सबसे पहले हार्ट अटैक के लक्षण को जानना जरूरी है। सीने में दर्द, पसीना आना, बेचैनी और चक्‍कर आए तो यह हार्ट अटैक हो सकता है। इसके अलावा अगर सीने से दर्द उठकर बांये कंधे से होते हुए पीठ की तरफ बढ़ रहा है। अगर नाड़ी नहीं मिल रही है या नाड़ी अनियमित है और आप में चेतना नहीं है तो यह ह्रदयघात होना दर्शाता है।

ऐसी स्थिति में आप एंबुलेंस को कॉल करनी चाहिए, जिससे समय पर इलाज दिया जा सके। अगर आपको लगता है कि मरीज संदिग्‍ध लगता है तो आप उसे शांत तरीके से सीधे लिटा दें। अगर हाथों में पल्‍स नहीं मिल रही है तो ऐसी स्थिति में हाथों से सीने को दबाएं। अगर आप जानते हैं कि मरीज पहले ही ह्रदय संबंधी बीमारियों से ग्रसित है तो यह देखना जरूरी है कि कहीं वह कोई दवाई खाना भू तो नहीं गया। ऐसी स्थिति में उसे दवाई देना जरूरी है। हार्ट अटैक के बाद अगर आपने किसी एक्‍सपर्ट को बुलाया है तो जब तक वह आप तक पहुंच ना जाए तब तक शांत रहना है, किसी तरह का तनाव या शारीरिक श्रम नहीं करना है और इस चीज को पैनिक बनाने की भी जरूरत नहीं है।

दिल का दौरा पड़ने पर प्राथमिक उपचार

नवीन अस्पताल के फिजिशियन डॉक्‍टर निमित आहूजा ने बताया कि, दिल का दौरा आने की स्थिति में प्राथमिक उपचार के रूप में डिस्प्रिन की गोली चबाकर पानी के साथ देना चाहिए। इसके तुरंत बाद निकटतम अस्‍पताल में डॉक्‍टर की देखरेख में जाना चाहिए। उन्‍होंने बताया कि दिल के दौरे में होने वाला सीने का दर्द चलने फिरने पर बढ़ता है। इसलिए मरीज को शांति से लेटे रहना चाहिए। मरीज को एक जगह से दूसरी जगह ले जाने के लिए स्‍ट्रेचर या व्‍हील चेयर का इस्‍तेमाल करना चाहिए। बेहोशी या दिल की धड़कन रूक जाने की स्थिति में सीने के निचले हिस्‍से के मध्‍य में दोनों हथेलियों से दबाना चाहिए।

ह्रदयघात की वजह

ह्रदयघात की मुख्य वजह हाई ब्लड कोलेस्ट्रॉल, हाई ब्लड प्रेशर, धूम्रपान और मोटापा होता है। अगर आप किसी तरह का शारीरिक श्रम नहीं करते हैं, तो भी दिल का दौरा पड़ने की संभावना रहती है। बहुत से लोग अपनी जीवनशैली में बदलाव लाकर और डॉक्टर की सलाह से दवाएं खाकर ठीक हो जाते हैं, लेकिन जो लोग कोरोनरी ऑरटरीज डिजीज से गंभीर रूप से पीड़ित होते हैं, उन्हें एंजियोप्लास्टी या बाईपास सर्जरी की जरूरत होती है।

  • शल्य चिकित्‍सा से ब्‍लॉक हो चुकी हृदय धमनियों को खोलना होता है एंजियोप्लास्टी। 
  • रक्‍त धमनियों के संकरा होने को कारण सीने में दर्द या हृदय आघात हो सकता है।
  • हृदय की रक्‍त धमनियां संकरी हैं तो हृदय एंजियोप्लास्टी की जा सकती है।

एंजियोप्लास्टी सर्जरी ब्‍लॉक हो चुकी दिल की धमनियों को शल्य चिकित्‍सा से खोलने का एक तरीका है। इस लेख के जरिये हम आपको दे रहे हैं एंजियोप्लास्टी सर्जरी के बारे में पूरी जानकारी।

कब होती है एंजियोप्लास्टी सर्जरी

कोरोनरी धमनियां दिल की मांसपेशियों को ऑक्सीजन और पोषक तत्‍वों से भरपूर रक्‍त की आपूर्ति करती हैं। एस्थ्रोस्क्लोरोसिस (धमनीकलाकाठिन्य) के कारण जब इन धमनियों में रुकावट आ जाती है तो ये हृदय की मांसपेशियों को रक्‍त की आपूर्ति करना कम कर देती हैं और एन्जाइन का निर्माण शुरू कर देती हैं। ब्‍लॉकेज की समस्‍या वाले कुछ रोगियों को एंजियोप्लास्टी सर्जरी की आवश्यकता हो सकती है।
जिन रोगियों की हृदय कोरोनरी समस्‍याएं गंभीर हो जाती हैं या चिकित्सा उपचार विफल हो जाता है तो उनकी कार्डियक कैथ जांच की जाती हैं। इस जांच को कार्डियक कैथेटराइजेशन या कोरोनरी एंजियोग्राम भी कहते हैं। हृदय कैथ, पम्प (रक्त पम्प करना) के दौरान हृदय की रक्‍त धमनियों और अंदर के हिस्से को दिखाता है। इसे करते समय कैथेटर कही जाने वाली एक ट्यूब रोगी के पैर के ऊपरी हिस्से, जांघ या हाथ की रक्‍त धमनी में डाला जाता है। इसके बाद इसे हृदय तक पहुंचाया जाता है। कैथेटर के माध्यम से डाई डाली जाती है और एक्स-रे लिए जाते हैं

कैसे होती है एंजियोप्लास्टी सर्जरी

रक्‍त धमनियों के संकरा होने को कारण सीने में दर्द या हृदय आघात हो सकता है। यदि आपके भी हृदय की रक्‍त धमनियां संकरी हैं तो हृदय एंजियोप्लास्टी की जा सकती है। इसे पीटीसीए (परकुटेनियस ट्रांसलुमिनल कोरोनरी एंजियोप्लास्टी) या बैलून एंजियोप्लास्टी भी कहा जाता है। इस प्रक्रिया के माध्यम से रक्‍त प्रवाह बेहतर बनाने के लिए कैथेटर के आखिर में लगे बैलून का उपयोग रक्‍त धमनी खोलने के लिए किया जाता है। रक्‍त धमनी को खुला रखने के लिए एक स्टेंट लगाया जा सकता है। स्टेंट तार की नली जैसा छोटा उपकारण होता है।

इस तकनीक मेंएक गाइड वायर के सिरे पर रखकर खाली और पिचके हुए बैलून कैथेटर को संकुचित स्थान में प्रवेश कराया जाता है। इसके बाद सामान्य रक्‍तचाप (6 से 20 वायुमण्डल) से 75-500 गुना अधिक जल दवाब का उपयोग करते हुए उसे एक निश्चित आकार में फुलाया जाता है। बैलून धमनी या शिरा के अन्दर जमा हुई वसा को खत्‍म कर देता है और रक्‍त वाहिका को बेहतर प्रवाह के लिए खोल देता है। इसके बाद गुब्बारे को पिचका कर उसी तार (कैथेटर) द्वारा वापस बाहर खींच लिया जाता है।

एंजियोप्लास्टी सर्जरी की सफलता इस बात पर निर्भर करती है कि ब्लॉकेज कौन सी आर्टरी में हुई है। पैरीफेरल आर्टरी में एंजियोप्लास्टी सर्जरी लगभग 98 फीसदी तक सफल रहती है। एंजियोप्लास्टी कराने वाले महज 10 प्रतिशत रोगियों के फिर से ब्लॉकेज होने की आशंका रहती है। ब्लॉकेज का जल्‍द पता चल जाता है तो इसके सफल होने की गारंटी और बढ़ जाती है। अब शरीर की सभी आर्टरीज की एंजियोप्लॉस्टी की जा सकती है।

एंजियोप्लास्टी सर्जरी क्यों जरूरी है

शरीर के अन्य भागों की तरह हृदय को भी रक्‍त की निरंतर आपूर्ति की जरूरत होती है। यह आपूर्ति दो बड़ी रक्‍त वाहिकाओं के द्वारा होती है, इन्‍हें बांयी और दांयी कोरोनरी धमनियां कहते हैं। उम्र बढ़ने के साथ ये धमनियां संकुचित और सख्त हो जाती हैं। कोरोनरी धमनियों के सख्त होने पर वे हृदय में रक्‍त प्रवाह को बाधित करती हैं। इस कारण एंजाइना का निर्माण हो सकता है। एंजाइना का सामान्य लक्षण सीने में दर्द होना होता है।
एंजाइना के कई मामलों में दवा से उपचार भी कारगर रहता है, लेकिन एंजाइना के गंभीर होने पर हृदय को रक्‍त की आपूर्ति बहाल करने के लिए कोरोनरी एंजियोप्लास्टी आवश्यक हो सकती है। अक्सर दिल का दौरा पड़ने के बाद आपातकालीन उपचार के रूप में भी कोरोनरी एंजियोप्लास्टी की जाती है।

  • दिल में भी होती है कई तरह की बीमारियां।
  • हर बीमारी  के होते है अलग-अलग लक्षण।  
  • इसके लक्षणों से किया जा सकता है इलाज।  

सभी अंगों की तरह दिल भी कई कारणों से बीमार होता है। दिल की बीमारियों को आम शब्द में हृदय रोग कहा जाता है जिसके अंतर्गत हृदय से संबंधित अनेक बीमारियां एवं परेशानी होती हैं जिसका हृदय पर गलत प्रभाव पड़ता है। इनमें कोरोनरी आर्टरी डिसीज, एंजाइना, दिल का दौरा आदि बीमारियां आती हैं।

कोरोनरी आर्टरी डिजीज

इसका सबसे आम लक्षण है एंजाइना या छाती में दर्द। एंजाइना को छाती में भारीपन, असामान्यता, दबाव, दर्द, जलन, ऐंठन या दर्द के अहसास के रूप में पहचाना जा सकता है। कई बार इसे अपच या हार्टबर्न समझने की गलती भी हो जाती है। एंजाइना कंधे, बाहों, गर्दन, गला, जबड़े या पीठ में भी महसूस की जा सकती है। बीमारी के दूसरे लक्षण छोटी-छोटी सांस आना।  पल्पिटेशन। धड़कनों का तेज होना। कमजोरी या चक्कर आना।उल्टी आने का अहसास होना। पसीना आना हो सकते हैं।

4 comments:

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