Thursday, 11 January 2018

डेंगू के बारे में सबकुछ: लक्षण, उपाय और इलाज

Everything about dengue: symptoms, remedies and cure***||

डेंगू अपने पांव पसार चुका है।

 शुरुआत में सामान्य-सा लगनेवाला यह बुखार देरी या गलत इलाज सेजानलेवा साबित हो सकता है। वक्त पर सही इलाज हो तो हालात कंट्रोल में रहते हैं। एक्सपर्ट्स ने बतायाडेंगू से बचाव और इलाज के बारे में...

कैसे और कब होता है डेंग

डेंगू मादा एडीज इजिप्टी मच्छर के काटने से होता है। इन मच्छरों के शरीर पर चीते जैसी धारियां होतीहैं। ये मच्छर दिन में, खासकर सुबह काटते हैं। डेंगू बरसात के मौसम और उसके फौरन बाद के महीनों यानी जुलाई से अक्टूबर में सबसे ज्यादा फैलता है क्योंकि इस मौसम में मच्छरों के पनपने के लिए अनुकूल परिस्थितियां होती हैं। एडीज इजिप्टी मच्छर बहुत ऊंचाई तक नहीं उड़ पाता।कैसे फैलता हैडेंगू बुखार से पीड़ित मरीज के खून में डेंगू वायरस बहुत ज्यादा मात्रा में होता है। जब कोई एडीज मच्छर डेंगू के किसी मरीज को काटता है तो वह उस मरीज का खून चूसता है। खून के साथ डेंगू वायरस भी मच्छर के शरीर में चला जाता है। जब डेंगू वायरस वाला वह मच्छर किसी और इंसान को काटता है तो उससे वह वायरस उस इंसान के शरीर में पहुंच जाता है,जिससे वह डेंगू वायरस से पीड़ित हो जाता है।


कब दिखती है बीमारी

काटे जाने के करीब 3-5 दिनों के बाद मरीज में डेंगू बुखार के लक्षण दिखने लगते हैं। शरीर में बीमारी पनपने की मियाद 3 से 10 दिनों की भी हो सकती है।
कितने तरह का होता है
 डेंगूयह तीन तरह का होता है
1. क्लासिकल (साधारण) डेंगू बुखार
2. डेंगू हैमरेजिक बुखार (DHF)
3. डेंगू शॉक सिंड्रोम (DSS)

इन तीनों में से दूसरे और तीसरे तरह का डेंगू सबसे ज्यादा खतरनाक होता है। साधारण डेंगू बुखार अपने आप ठीक हो जाता है और इससे जान जाने का खतरा नहीं होता लेकिन अगर किसी को DHF या DSS है और उसका फौरन इलाज शुरू नहीं किया जाता तो जान जा सकती है। इसलिए यह पहचानना सबसे जरूरी है कि बुखार साधारण डेंगू है, DHF है या DSS है।

लक्षण क्या-क्यासाधारण डेंगू बुखार

ठंड लगने के बाद अचानक तेज बुखार चढ़नासिर, मांसपेशियों और जोड़ों में दर्द होनाआंखों के पिछले हिस्से में दर्द होना, जो आंखों को दबाने या हिलाने से और बढ़ जाता हैबहुत ज्यादा कमजोरी लगना, भूख न लगना और जी मितलाना और मुंह का स्वाद खराब होनागले में हल्का-सा दर्द होनाशरीर खासकर चेहरे, गर्दन और छाती पर लाल-गुलाबी रंग के रैशेज होनाक्लासिकल साधारण डेंगू बुखार करीब 5 से 7 दिन तक रहता है और मरीज ठीक हो जाता है। ज्यादातर मामलों में इसी किस्म का डेंगू बुखार होता है।

डेंगू हैमरेजिक बुखार (DHF)

नाक और मसूढ़ों से खून आनाशौच या उलटी में खून आनास्किन पर गहरे नीले-काले रंग के छोटे या बड़े चिकत्ते पड़ जानाअगर क्लासिकल साधारण डेंगू बुखार के लक्षणों के साथ-साथ ये लक्षण भी दिखाई दें तो वह ष्ठ।।स्न हो सकता है। ब्लड टेस्ट से इसका पता लग सकता है।

डेंगू शॉक सिंड्रोम (DSS)

इस बुखार में DHF के लक्षणों के साथ-साथ 'शॉक' की अवस्था के भी कुछ लक्षण दिखाई देते हैं। जैसे :मरीज बहुत बेचैन हो जाता है और तेज बुखार के बावजूद उसकी स्किन ठंडी महसूस होती है।मरीज धीरे-धीरे होश खोने लगता है।मरीज की नाड़ी कभी तेज और कभी धीरे चलने लगती है। उसका ब्लड प्रेशर एकदम लो हो जाता है।
नोट :डेंगू से कई बार मल्टी ऑर्गन फेल्योर भी हो जाता है। इसमें सेल्स के अंदर मौजूद फ्लूइड बाहर निकल जाता है। पेट के अंदर पानी जमा हो जाता है। लंग्स और लिवर पर बुरा असर पड़ता है और ये काम करनाबंद कर देते हैं।

कौन-से टेस्ट
अगर तेज बुखार हो, जॉइंट्स में तेज दर्द हो या शरीरपर रैशेज हों तो पहले दिन ही डेंगू का टेस्ट करा लेना चाहिए। अगर लक्षण नहीं हैं, पर तेज बुखार बना रहता है तो भी एक-दो दिन के इंतजार के बाद फिजिशियन के पास जरूर जाएं। शक होने पर डॉक्टर डेंगू की जांच कराएगा। डेंगू की जांच के लिए शुरुआत में एंटीजन ब्लड टेस्ट (एनएस 1) किया जाता है। इस टेस्ट में डेंगू शुरू में ज्यादा पॉजिटिव आता है, जबकि बाद में धीरे-धीरे पॉजिविटी कम होने लगती है। यह टेस्ट करीब 1000 से 1500 रुपये में होता है। अगर तीन-चार दिन के बाद टेस्ट कराते हैं तो एंटीबॉडी टेस्ट (डेंगू सिरॉलजी) कराना बेहतर है। इसके लिए 600 से 1500 रुपये लिए जाते हैं। डेंगू की जांच कराते हुए वाइट ब्लड सेल्स का टोटल काउंट और अलग-अलग काउंट करा लेना चाहिए। इस टेस्ट में प्लेटलेट्स की संख्या पता चल जाती है। डेंगू के टेस्ट ज्यादातर सभी अस्पतालों और लैब्स में हो जाते हैं। टेस्ट की रिपोर्ट 24 घंटे में आ जाती है। अच्छी लैब्स तो दो-तीन घंटे में भी रिपोर्ट देदेती हैं। ये टेस्ट खाली या भरे पेट, कैसे भी कराए जा सकते हैं।

प्लेटलेट्स की भूमिका

आमतौर पर तंदुरुस्त आदमी के शरीर में डेढ़ से दो लाख प्लेटलेट्स होते हैं। प्लेटलेट्स बॉडी की ब्लीडिंग रोकने का काम करती हैं। अगर प्लेटलेट्स एक लाख से कम हो जाएं तो उसकी वजह डेंगू हो सकता है। हालांकि यह जरूरी नहीं है कि जिसे डेंगू हो, उसकी प्लेटलेट्स नीचे ही जाएं। प्लेटलेट्स अगर एकलाख से कम हैं तो मरीज को फौरन हॉस्पिटल में भर्ती कराना चाहिए। अगर प्लेटलेट्स गिरकर 20 हजार तक याउससे नीचे पहुंच जाएं तो प्लेटलेट्स चढ़ाने की जरूरत पड़ती है। 40-50 हजार प्लेटलेट्स तक ब्लीडिंग नहीं होती। डेंगू का वायरस आमतौर पर प्लेटलेट्स कम कर देता है, जिससे बॉडी में ब्लीडिंग शुरू हो जाती है। अगर प्लेटलेट्स तेजी से गिर रहे हैं, मसलन सुबह एक लाख थे और दोपहर तक 50-60 हजार हो गए तो शाम तक गिरकर 20 हजार पर पहुंच सकते हैं। ऐसे में डॉक्टर प्लेटलेट्स का इंतजाम करने लगते हैं ताकि जरूरत पड़ते ही मरीज कोप्लेटलेट्स चढ़ाए जा सकें। प्लेटलेट्स निकालने में तीन-चार घंटे लगते हैं।

बच्चों में खतरा ज्यादा

बच्चों का इम्युन सिस्टम ज्यादा कमजोर होता है और वे खुले में ज्यादा रहते हैं इसलिए उनके प्रति सचेत होने की ज्यादा जरूरत है। पैरंट्स ध्यान दें कि बच्चे घर से बाहर पूरे कपड़े पहनकर जाएं। जहां खेलते हों, वहां आसपास गंदा पानी न जमा हो। स्कूल प्रशासन इस बात का ध्यान रखे कि स्कूलों में मच्छरन पनप पाएं। बहुत छोटे बच्चे खुलकर बीमारी के बारेमें बता भी नहीं पाते इसलिए अगर बच्चा बहुत ज्यादारो रहा हो, लगातार सोए जा रहा हो, बेचैन हो, उसे तेज बुखार हो, शरीर पर रैशेज हों, उलटी हो या इनमें से कोई भी लक्षण हो तो फौरन डॉक्टर को दिखाएं। बच्चोंको डेंगू हो तो उन्हें अस्पताल में रखकर ही इलाज कराना चाहिए क्योंकि बच्चों में प्लेटलेट्स जल्दी गिरते हैं और उनमें डीहाइड्रेशन (पानी की कमी) भी जल्दी होता है।

किस डॉक्टर को दिखाए

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डेंगू होने पर किसी अच्छे फिजिशियन के पास जाना चाहिए। बच्चों में डेंगू के लक्षण नजर आएं तो उसे पीडिअट्रिशन के पास ले जाएं।

इलाज

अगर मरीज को साधारण डेंगू बुखार है तो उसका इलाज व देखभाल घर पर की जा सकती है।-डॉक्टर की सलाह लेकर पैरासिटामोल (क्रोसिन आदि) ले सकते हैं।-एस्प्रिन (डिस्प्रिन आदि) बिल्कुल न लें। इनसे प्लेटलेट्स कम हो सकते हैं।-अगर बुखार 102 डिग्री फॉरेनहाइट से ज्यादा है तोमरीज के शरीर पर पानी की पट्टियां रखें।-सामान्य रूप से खाना देना जारी रखें। बुखार की हालत में शरीर को और ज्यादा खाने की जरूरत होती है।-मरीज को आराम करने दें।मरीज में DSS या DHF का एक भी लक्षण दिखाई दे तोउसे जल्दी-से-जल्दी डॉक्टर के पास ले जाएं। DSS और DHF बुखार में प्लेटलेट्स कम हो जाती हैं, जिससे शरीर के जरूरी हिस्से प्रभावित हो सकते हैं। डेंगू बुखार के हर मरीज को प्लेटलेट्स चढ़ाने की जरूरत नहीं होती, सिर्फ डेंगू हैमरेजिक और डेंगू शॉक सिंड्रोम बुखार में ही जरूरत पड़ने पर प्लेटलेट्स चढ़ाई जाती हैं। अगर सही समय पर इलाज शुरू कर दिया जाए तो DSS और DHF का पूरा इलाज मुमकिन है।

एलोपैथी

इसकी दवाई लक्षण देखकर और प्लेटलेट्स का ब्लड टेस्ट कराने के बाद ही दी जाती है। लेकिन किसी भी तरह के डेंगू में मरीज के शरीर में पानी की कमी नहीं आने देनी चाहिए। उसे खूब पानी और बाकी तरल पदार्थ (नीबू पानी, छाछ, नारियल पानी आदि) पिलाएं ताकि ब्लड गाढ़ा न हो और जमे नहीं। साथ ही, मरीज को पूरा आराम करना चाहिए। आराम भी डेंगू की दवा ही है।

आयुर्वेद

आयुवेर्द में इसकी कोई पेटेंट दवा नहीं है। लेकिन डेंगू न हो, इसके लिए यह नुस्खा अपना सकते हैं। एक कप पानी में एक चम्मच गिलोय का रस (अगर इसकी डंडी मिलती है तो चार इंच की डंडी लें। उस बेल से लें, जोनीम के पेड़ पर चढ़ी हो), दो काली मिर्च, तुलसी के पांच पत्ते और अदरक को मिलाकर पानी में उबालकर काढ़ा बनाए और 5 दिन तक लें। अगर चाहे तो इसमें थोड़ा-सा नमक और चीनी भी मिला सकते हैं। दिन में दो बार, सुबह नाश्ते के बाद और रात में डिनर से पहले लें।

बरतें एहतियात
ठंडा पानी न पीएं, मैदा और बासी खाना न खाएं।-खाने में हल्दी, अजवाइन, अदरक, हींग का ज्यादा-से-ज्यादा इस्तेमाल करें।-इस मौसम में पत्ते वाली सब्जियां, अरबी, फूलगोभी नखाएं।-हल्का खाना खाएं, जो आसानी से पच सके।-पूरी नींद लें, खूब पानी पीएं और पानी को उबालकर पीएं।-मिर्च मसाले और तला हुआ खाना न खाएं, भूख से कम खाएं, पेट भर न खाएं।-खूब पानी पीएं। छाछ, नारियल पानी, नीबू पानी आदि खूब पिएं।


बचाव भी इलाज

-बीमारी से बचने के लिए फिजिकली फिट, मेंटली स्ट्रॉन्ग और इमोशनली बैलेंस रहें।-अच्छा खाएं, अच्छा पीएं और अच्छी नींद ले।-नाक के अंदर की तरफ सरसों का तेल लगाकर रखें। इससे तेल की चिकनाहट बाहर से बैक्टीरिया को नाक केअंदर जाने से रोकती है।-खाने में हल्दी का इस्तेमाल ज्यादा करें। सुबह आधा चम्मच हल्दी पानी के साथ या रात को आधा चम्मच हल्दी एक गिलास दूध या के साथ लें। लेकिन अगर आपको -नजला, जुकाम या कफ आदि है तो दूध न लें। तब आप हल्दी को पानी के साथ ले सकते हैं।-आठ-दस तुलसी के पत्तों का रस शहद के साथ मिलाकर लें या तुलसी के 10 पत्तों को पौने गिलास पानी में उबालें, जब वह आधा रह जाए तब उस पानी को पीएं।-विटामिन-सी से भरपूर चीजों का ज्यादा सेवन करें जैसे : एक दिन में दो आंवले, संतरे या मौसमी ले सकतेहैं। यह हमारे इम्यून सिस्टम को सही रखता है।

अपने आप न आजमाएं

अपनी मर्जी से कोई भी एंटी-बायोटिक या कोई और दवा न लें। अगर बुखार ज्यादा है तो डॉक्टर के पास जाएं और उसकी सलाह से ही दवाई ले।इन दिनों के बुखार में सिर्फ पैरासिटामोल ले सकते हैं। एस्प्रिन बिल्कुल न लें क्योंकि अगर डेंगू है तो एस्प्रिन या ब्रूफिन आदि लेने से प्लेटलेट्स कम हो सकती हैं।मामूली खांसी आदि होने पर भी अपने आप कोई दवाई न लें।झोलाछाप डॉक्टरों के पास न जाएं। अक्सर ऐसे डॉक्टर बिना सोचे-समझे कोई भी दवाई दे देते हैं। Dexamethasone(जेनरिक नाम) का इंजेक्शन और टैब्लेट तो बिल्कुल न लें। अक्सर झोलाछाप मरीजों को इसका इंजेक्शन और टैब्लेट दे देते हैं, जिससे मौत भी हो सकती है।


डेंगू से कैसे बचेंडेंगू से बचने के दो ही उपाय हैं


। एडीज मच्छरों को पैदा होने से रोकना।
 एडीज मच्छरों के काटने से बचाव करना।

मच्छरों को पैदा होने से रोकने के उपाय

घर या ऑफिस के आसपास पानी जमा न होने दें, गड्ढों को मिट्टी से भर दें, रुकी हुई नालियों को साफ करें।- अगर पानी जमा होेने से रोकना मुमकिन नहीं है तो उसमें पेट्रोल या केरोसिन ऑयल डालें।- रूम कूलरों, फूलदानों का सारा पानी हफ्ते में एक बार और पक्षियों को दाना-पानी देने के बर्तन को रोज पूरी तरह से खाली करें, उन्हें सुखाएं और फिर भरें। घर में टूटे-फूटे डिब्बे, टायर, बर्तन, बोतलें आदि न रखें। अगर रखें तो उलटा करके रखें।- डेंगू के मच्छर साफ पानी में पनपते हैं, इसलिए पानी की टंकी को अच्छी तरह बंद करके रखें।- अगर मुमकिन हो तो खिड़कियों और दरवाजों पर महीन जाली लगवाकर मच्छरों को घर में आने से रोकें।- मच्छरों को भगाने और मारने के लिए मच्छरनाशक क्रीम, स्प्रे, मैट्स, कॉइल्स आदि इस्तेमाल करें। गुग्गुल के धुएं से मच्छर भगाना अच्छा देसी उपाय है।- घर के अंदर सभी जगहों में हफ्ते में एक बार मच्छरनाशक दवा का छिड़काव जरूर करें। यह दवाई फोटो-फ्रेम्स, पर्दों, कैलेंडरों आदि के पीछे और घर के स्टोर-रूम और सभी कोनों में जरूर छिड़कें। दवाई छिड़कते वक्त अपने मुंह और नाक पर कोई कपड़ा जरूर बांधें। साथ ही, खाने-पीने की सभी चीजों को ढककर रखें।

मच्छरों के काटने से बचाव
ऐसे कपड़े पहने, जिससे शरीर का ज्यादा-से-ज्यादा हिस्सा ढका रहे। खासकर बच्चों के लिए यह सावधानी बहुत जरूरी है। बच्चों को मलेरिया सीजन में निक्कर व टी-शर्ट न पहनाएं।-बच्चों को मच्छर भगाने की क्रीम लगाएं।-रात को सोते समय मच्छरदानी लगाएं।

ध्यान देंइन दिनों बुखार होने पर सिर्फ पैरासिटामोल (क्रोसिन, कैलपोल आदि) लें। एस्प्रिन (डिस्प्रिन, इकोस्प्रिन) या एनॉलजेसिक (ब्रूफिन, कॉम्बिफ्लेम आदि) बिल्कुल न लें। क्योंकि अगर डेंगू है तो एस्प्रिन या ब्रूफिन आदि लेने से प्लेटलेट्स कम हो सकती हैं और शरीर से ब्लीडिंग शुरू हो सकती है।कई बार चौथे-पांचवें दिन बुखार कम होता है तो लगताहै कि मरीज ठीक हो रहा है, जबकि ऐसे में अक्सर प्लेटलेट्स गिरने लगते हैं। बुखार कम होने के बाद भी एक-दो दिन में एक बार प्लेटलेट्स काउंट टेस्ट जरूर कराएं।अगर किसी को डेंगू हो गया है तो उसे मच्छरदानी के अंदर रखें, ताकि मच्छर उसे काटकर दूसरों में बीमारी न फैलाएं।20 का फॉर्म्युलाडेंगू में कुछ एक्सपर्ट 20 के फॉर्म्युला की बात करते हैं। अगर धड़कन यानी पल्स रेट 20 बढ़ जाए, ऊपर का ब्लड प्रेशर 20 कम हो जाए, ऊपर और नीचे के ब्लड प्रेशर का फर्क 20 से कम हो जाए, प्लैटलेट्स 20 हजार से कम रह जाएं, शरीर के एक इंच एरिया में 20 से ज्यादा दाने पड़ जाएं - इस तरह का कोई भी लक्षण नजर आए तो मरीज को अस्पताल में जरूर भर्ती करना चाहिए।एक्सपर्ट्स पैनलडॉ. अनूप मिश्रा, डायरेक्टर, फॉटिर्स सीडॉक सेंटर फॉर इंटरनल मेडिसिनडॉ. एम. पी. शर्मा, एचओडी, इंटरनल मेडिसन, रॉकलैंड हॉस्पिटलडॉ. के. के. अग्रवाल, सीनियर फिजिशियन, मूलचंद हॉस्पिटलएल. के. त्रिपाठी, वरिष्ठ वैद्य

डेंगू बुखार : लक्षण, बचाव, खानपान और उपचार के उपाय

विश्व स्वास्थ्य संगठन के अनुसार डेंगू की बीमारी से दुनिया में हर साल 5 करोड़ व्यक्ति संक्रमित होते हैं। तथा इस रोग से प्रतिवर्ष 12,000 मौतें होती हैं, जिनमें अधिकतर बच्चे होते हैं। दक्षिण-पूर्व एशिया में बँगलादेश, भारत, श्रीलंका, थाईलैंड, म्याँमार, इंडोनेशिया प्रमुख रूप से डेंगू से प्रभावित देश हैं। दस्त और न्यूमोनिया जैसी बीमारियों के बाद डेंगू यहाँबच्चों की मौत का दूसरा बड़ा कारण है। यह उन बड़े शहरों में अधिक फैलता है, जहाँ घनी आबादी रहती है और पानी के निकास की सही व्यवस्था नहीं है।
*.मच्छरों के काटने के बाद लक्षण आने में 8 से 10दिन का समय लगता है।*.बीमारी की गंभीरता विभिन्न रोगियों में अलग-अलग तरह की होती है। कुछ मरीजों में रोग 7 से 10 दिनों के अंदर गंभीर स्थिति में पहुँच जाता है, जबकि कई मरीजों में मामूली अवस्था तक सीमित रहता है।*.शुरू के दो दिनों तक अधिक सिरदर्द व कमजोरी रहती है। शरीर में तो दर्द होता है, लेकिन पीठ, कमर और जोड़ों में अधिक दर्द होता है। आँखों के चारों ओर की हड्डियों में भी तेज दर्द होता है, यहाँ तक कि नजर इधर-उधर चलाने में भी कष्ट होता है।*.ठंड के साथ अचानक तेज बुखार चढ़ना।*.सिर, मांसपेशियों तथा जोड़ों में दर्द होना।*.अत्यधिक कमजोरी लगना, भूख में बेहद कमी तथा जी मितलाना।*.मुँह का स्वाद खराब होना।*.गले में हल्का सा दर्द होना।*.आँखें लाल दिखती हैं। इस स्थिति में रोशनी असहनीय लगती है। आँखों से आँसू निकलते हैं।*.उलटी करने की इच्छा होती है, भूख और नींद चली जाती है व मरीज उदास हो जाता है।*.दूसरे-तीसरे दिन लक्षण अस्थायी रूप से चले जातेहैं, फिर एक-दो दिन के बाद फिर से ये ही लक्षण तेज बुखार के साथ दिखते हैं।*.डेंगू बुखार में गरदन के दोनों ओर की लसिका ग्रंथियों का आकार भी बढ़ जाता है।*.डेंगू बुखार होने पर शरीर पर दाने या लाल चकत्ते भी उभर आते हैं। शुरू में ये चकत्ते दोनों हाथों और दोनों पैरों पर आते हैं, फिर भुजाओं, जंघाओं, सीने तथा पीठ पर फैल जाते हैं, जबकि चिकनगुनिया में चकत्तों की संख्या कम होती है।*.पानी पीने और कुछ भी खाने में दिक्कत हो और बार-बार उल्टी आए तो डीहाइड्रेशन का खतरा हो जाता है। ये लिवर एन्जाइम्स में गड़बड़ का सूचकहोता है। इसलिए तुरंत चिकित्सक से संपर्क करना चाहिए |

डेंगू से बचने के लिए इस्तमाल करें ये घरेलू और प्राकृतिक उपाय :

कई बार बीमारी को रोक पाना मुश्किल होता है लेकिनआपके शरीर की रोग प्रतिरक्षा प्रणाली अगर मजबूत है तो आप आसानी से बीमारी को हराकर जल्द ही ठीक होसकते है | याद रखे एक कमजोर शरीर किसी छोटी सी बीमारी से भी हार सकता है और एक मजबूत शरीर बड़ी सेबड़ी बीमारी से लड़कर जल्द ही ठीक हो जाता है | इसलिए अपने शरीर को मजबूत रखने के लिए नीचे बतायेगये उपाय अजमाए |*.गिलोयःगिलोय मेटाबॉलिक रेट बढ़ाने, प्रतिरक्षा प्रणाली को मजबूत रखने और बॉडी को इंफेक्शन से बचाने में मदद करती है | इनके तनों को उबालकर हर्बल ड्रिंक की तरह सर्व किया जा सकता है इसमें तुलसी के पत्ते भी डाले जा सकते हैं |

*.मेथी के पत्तेः


यह पत्तियां बुखार कम करने के लिए सहायक हैं. यह पीड़ित का दर्द दूर कर उसे आसानी से नींद में मदद करती हैं. इसकी पत्तियों को पानी में भिगोकर उसके पानी को पीया जा सकता है| इसके अलावा, मेथी पाउडर को भी पानी में मिलाकर पी सकते हैं.

*.पीपते के पत्तेः

यह प्लेटलेट्स की गिनती बढ़ाने में हेल्प करता है साथ ही शरीर में दर्द,कमजोरी महसूस होना, उबकाई आना, थकान महसूस होना आदि जैसे बुखार के लक्षण को कम करने में सहायक है.” आप इसकी पत्तियों को कूट कर खा सकते हैं या फिर इन्हें ड्रिंक की तरह भी पिया जा सकता है, जो कि बॉडी से टॉक्सिन बाहर निकालने में मदद करते हैं |

.हल्दीः

यह मेटाबालिज्म बढ़ाने के लिए इस्तेमालकी जाती है हल्दी को दूध में मिलाकर पीया जा सकता है |

.तुलसी के पत्ते और काली मिर्चः

तुलसी के पत्तोंऔर दो ग्राम काली मिर्च को पानी में उबालकर पीना सेहत के लिए अच्छा रहता है. यह ड्रिंक आपकीप्रतिरक्षा प्रणाली को मजबूत बनाती है और एंटी-बैक्टीरियल तत्व के रूप में कार्य करती है| यह भी पढ़ें – काली मिर्च के 35 औषधीय गुण तथा फायदे |*.पतंजली द्वारा निर्मित गेंहू के ज्वारे का रस -20 मिली , दिव्य गिलोय रस -20 मिली, दिव्य ध्र्तकुमारी स्वरस -20 मिली , पपीते के पत्ते का रस – 20 मिली | बाबा रामदेव के अनुसार इन सभी रसो को मिलाकर पीने से रक्त में प्लेटलेट्सकी संख्या बढती है |*.हर चार घंटे या दिन में 3-4 बार गिलोय, एलोवेरा, पपीते के पत्ते और अनार का जूस इन चारों को 50-50 ग्राम की मात्रा में मिलाकर पीने से भी प्लेटलेट्स की संख्या बढती है | देखे यह पोस्ट – एलोवेरा जूस बनाने की विधि और फायदे |*.2 चम्मच शहद और आधा गिलास कद्दू का रस मिलाकर पीने से भी प्लेटलेट्स बढ़ने लगती हैं |

डेंगू में क्या खाना चाहिए :

डेंगू बुखार होने पर गेंहू का दलिया , पौष्टिक सब्ज़ियों से बने सूप, नारियल पानी संतरा ,अदरक का पानी, प्रोटीन के लिए मछली, अंडे, अंकुरित दाल, पनीर, दूध ,नींबू जूस लेना चाहिए |*.स्ट्रॉरबेरी, अमरूद, कीवि, संतरा ,टमाटर, कद्दू, गाजर, खीरा, चुकंदर और पपीता फलो का सेवन करें |*.डेंगू बुखार में भारी , तैलीय, मिर्च-मसालों और नमक वाले पकवान नहीं लेना चाहिए | मुंह का स्वादबनाएं रखने के लिए बार बार नींबू पानी पीते रहें |

खूनी डेंगू बुखार :
डेंगू बुखार होने पर गेंहू का दलिया , पौष्टिक सब्ज़ियों से बने सूप, नारियल पानी संतरा ,अदरक का पानी, प्रोटीन के लिए मछली, अंडे, अंकुरित दाल, पनीर, दूध ,नींबू जूस लेना चाहिए |*.स्ट्रॉरबेरी, अमरूद, कीवि, संतरा ,टमाटर, कद्दू, गाजर, खीरा, चुकंदर और पपीता फलो का सेवन करें |*.डेंगू बुखार में भारी , तैलीय, मिर्च-मसालों और नमक वाले पकवान नहीं लेना चाहिए | मुंह का स्वादबनाएं रखने के लिए बार बार नींबू पानी पीते रहें |
डेंगू रोग की पहचान कैसे करें :*.कई बार डेंगू की गंभीर अवस्था को कुछ चिकित्सक यलो फीवर भी समझ लेते हैं। लेकिन पेशाब की जाँच से सही जानकारी मिल पाती है।*.खून की जाँच में एंटीबॉडीज का माप बढ़ जाता है, क्योंकि डेंगू रोग के विषाणु खून में भी होते हैं, इसलिए खून की जाँच भी की जा सकती है।*.खूनी डेंगू बुखार होने पर खून जमाने वाली प्लेटलेट्स की संख्या कम हो जाती है।डेंगू बुखार का उपलब्ध इलाज : डेंगू ट्रीटमेंट*.वैसे डेंगू ज्वर का कोई विशेष इलाज उपलब्ध नहींहै। दर्द निवारक दवाएँ जैसे डाइक्लोफेनिक अथवापेरासीटामॉल से मरीज के शरीर का दर्द कम किया जाता है।*.डेंगू के रोगी को डिस्प्रीन, एस्प्रीन कभी नहींदेनी चाहिए |*.खून बहने के कारण रक्त की कमी को खून चढाने अथवाब्लड ट्रांसफ्यूजन द्वारा पूरी करते हैं।*.खूनी डेंगू में कार्टिकोस्टेराड्स दवाओं का भीउपयोग किया जाता है, लेकिन यह सब अनुभवी चिकित्सक के परामर्शानुसार करते हैं।*.वैसे डेंगू के लक्षण मिलने पर तुरंत चिकित्सक को दिखाना चाहिए। रोगी को अस्पताल में एडमिट करना उचित रहता है।*.डेंगू बुखार से पीड़ित मरीज को यदि बुखार 102 डिग्री फा. से अधिक है तो बुखार को कम करने के लिए ठंडे पानी की पट्टी रखकर तापमान कम करने की कोशिश करनी चाहिए | यह भी पढ़ें – चिकनगुनिया केकारण, लक्षण और रोकथाम टिप्स |डेंगू से बचाव के उपाय :*.डेंगू से बचने के लिए एडीज मच्छरों से बचना जरूरी है। रुके हुए पानी, यहाँ तक कि कूलरों की टंकियों के पानी को अलग कर देना चाहिए, साथ ही गंदगी और गड्ढों के पानी, कीचड़ इत्यादि को भी निकाल कर देना चाहिए, ताकि इनमें मच्छरों की पैदाइश को रोका जा सके।*.रोगी भी इस विषाणु का रिजर्वायर (संग्राहक) होता है, अत: उसे अलग मच्छरदानी में रखना चाहिए, ताकि उसे मच्छर काटकर रोग न फैलाएँ।*.अगर आप किसी मैदान या फार्म हाउस में रहते है तोआजकल डेंगू मच्छरों के लार्वा खानेवाली मछलियाँ (गंबूसिया) हैं, जिनको गड्ढों में भरे पानी या पोखरों के पानी में छोड़ देना चाहिए। इससे भी डेंगू मच्छरों पर रोक लगाई जा सकती है।*.कीटनाशकों का छिड़काव और फांगिग भी मच्छरों पर नियंत्रण रखती है। मच्छरों के लार्वा को नष्ट करने के लिए आर्गेनोफास्फोरस कीटनाशकों, जैसे-अबेट का प्रयोग करते हैं। इससे तीन महीने तक पानी में लार्वा उत्पन्न नहीं होते और पानी का स्वाद भी नहीं बदलता। इसके अलावा यह पानी मनुष्यों के लिए हानिप्रद भी नहीं होता। कीटनाशक को रेत में मिलाकर उपयोग में लाते हैं।*.घरों में मच्छरजालियाँ लगवाएँ और फुलपेंट, फुलशर्ट पहनें एवं मोजों का भी उपयोग करें।*.डेंगू के प्रकोप वाले स्थानों में मच्छरों से बचाव के लिए बहुत ही कम आयतन में (अल्ट्रा लो वॉल्यूम-यू.एल.वी.) मेलाथियान का ऐरोसाल छिड़काव करते हैं (250 मि.ली. प्रति हेक्टेयर)। इस कीटनाशक की हवा में तैरती छोटी-छोटी बूंदें मच्छरों को खत्म कर देती हैं।*.मच्छर न काटें, इसके लिए लोगों को मच्छरदानियोंएवं मच्छर भगानेवाले अन्य साधनों का भी प्रयोग करना चाहिए। धुएँ वाली अगरबत्तियों इत्यादि काप्रयोग करें। घरों में मच्छर जालियाँ लगवाएँ।*.डेंगू का मच्छर पैदा न हो इसके लिए पानी से भरी हुई टंकियाँ/ ड्रम आदि को ढककर रखें।*.टायरों में पानी जमा न होने दें।*.सप्ताह में एक बार कूलर/फूलदान खाली करके सुखा दें।*.डेंगू का मच्छर दिन के समय काटता है। ऐसे कपड़े पहनें, जो बदन को पूरी तरह ढकें।*.अधिक बुखार व गंभीर स्थिति में डॉक्टर की सलाह लें। खून की जाँच में डेंगू का पता चल जाता है, जाँच कराएँ।अन्य सम्बंधित पोस्ट *.सर्दी जुकाम से फटाफट राहत पाने के आसान घरेलू नुस्खे*.सिरदर्द दूर करने के घरेलू उपाय – Headache Remedies*.हाई ब्लड प्रेशर कम करने के उपाय- हाई बीपी के कारण लक्षण*.डायरिया रोग के लक्षण ,कारण और बचने के उपाय*.चक्कर आने का कारण तथा घरेलू उपचार -Vertigo*.जानिए संतुलित पौष्टिक भोजन के लाभ-Balanced Diet

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