मछलियों(Fishes) के बारे में अदभुत बातें & Facts in...Amazing facts about fishes inHindiमछलियों के बारे में हैरानी भरी जानकारियां. ... सबसे जहरीली मछली स्टोन फिश(stonefish), इसे खाने से इंसान की कुछ ही देर में मौत हो सकती है. 14. सबसे तेज तैरने ...|||
मछलियों(Fishes) के बारे में अदभुत बातें & Facts in Hindi
1मछलियों(Fishes) के बारे में अदभुत बातें & Facts in Hindi...
2. एक “मड स्किपर(mudskipper)” नाम की मछली ज्यादातर समय पानी के बाहर ही रहती है, ये मछली अपने पंखों की मदद से जमीन पर चल भी सकती है3. ज्यादातर अच्छी ब्रांड की लिपस्टिक(Lipstick) में मछली की चर्बी मिलायी जाती है4. “सफ़ेद शार्क” अपने शरीर का तापमान(temperature) भी बढ़ा सकती है, इससे वह बहुत ठन्डे पानी में भी रह सकती है5. सबसे ज्यादा उम्र की मछली ऑस्ट्रलिया में पायी गयी है, 2013 में उसकी उम्र 65 साल थी6. इलेक्ट्रिक ईल(Electric eels) नाम की मछली में इतना करंट होता है कि उसे छूने से इंसान की मृत्यु हो सकती है7. शार्क अकेली ऐसी मछलियाँ हैं जिनकी पलकें होती हैं8. ज्यादातर मछलियाँ जीभ से नहीं बल्कि किसी चीज़ को शरीर से स्पर्श करके उसका स्वाद पता कर लेती हैं9. मछली भी पानी में डूब सकती है, इंसान की तरह उसे भी ऑक्सीजन की जरुरत होती है और अगर पानी दूषित होगा तो मछली साँस नहीं ले पायेगी और डूब जाएगी10. ज्यादातर मछलियाँ उल्टी तरफ नहीं तैर सकतीं11. खाना चबाते समय मछली को साँस लेने में दिक्कत होती है क्यूंकि चबाने से उसके गलफड़ों में पर्याप्त पानी नहीं जा पाता12. दुनिया में सबसे लम्बी व्हेल(Whale) मछली कीलम्बाई 60 फिट है और वजन 25 टन है इसके आलावा इसके 4000 दांत हैं13. सबसे जहरीली मछली स्टोन फिश(stone fish), इसेखाने से इंसान की कुछ ही देर में मौत हो सकती है14. सबसे तेज तैरने वाली मछली सैल फिश(sailfish) है, ये मछली हाइवे पर चलने वाली कार(Car) से भी तेज स्पीड से तैरती है15. सबसे धीरे चलने वाली मछली है – seahorse, येमछली इतनी धीरे चलती है जैसे कोई बूढ़ा व्यक्ति जॉगिंग(Jogging) करता है16. कुछ रेगिस्तानी मछलियाँ(Desert Fish) ऐसी होती हैं जो बहुत गर्म जगह भी रह सकती हैं ये डेजर्ट फिश 113° F पर भी जिन्दा रहती हैं17. वैज्ञानिकों की मानें तो दुनिया भर में 32,000 प्रकार की मछलियाँ हैं18. अनब्लेप्स(Anableps) नाम की मछली की चार आखें होती हैं, ये मछली एक साथ ऊपर, नीचे, दायें और बाएं देख सकती है19. कुछ प्रजातियों के नर मछली, मादा मछलियों से छोटी होती हैं20. वैज्ञानिक मानते हैं कि वे अभी तक समुद्र का केवल 1% हिस्सा ही देख पाये हैं21. शार्क मछली हर साल करीब 12 लोगों को मार देती है, लेकिन हम इंसान हर घंटे करीब 11,417 शार्क को मारते हैं22. हजारों समुद्री मछलियाँ, इंसान द्वारा फेंके गए प्लास्टिक बैग को खाकर मर जाती हैं23. स्टारफिश(Starfish) नाम की मछली के पास दिमागनहीं होता, इस मछली की त्वचा स्पेशल प्रकार की होती है जो इसे आसपास के माहौल की जानकारी देती रहती है24. गोलिअथ टाइगर फिश(goliath tigerfish) इतनी भयानक होती है कि ये मगरमच्छों को भी खा जाती है25. मछली के बाद दूध या दही का सेवन से त्वचा पर सफेद धब्बे पड़ जाते हैं....||||||~
**मच्छरों के बारे में महत्वपूर्ण जानकारियां जरूर पढ़ें
*1. क्या आप जानते हैं कि केवल मादा मच्छर ही इंसान को काटती है नर मच्छर कभी नहीं काटता2. मादा मच्छर को अंडे पैदा करने के लिए प्रोटीन की जरुरत होती है इसलिए खून चूसती है3. मादा मच्छर एक बार शरीर में खून भर लेने के बाद 2 दिन के लिए आराम करने चले जाते हैं4. दुनिया भर में मच्छरों की करीब 3,500 प्रजातियां हैं5. मच्छरों के दांत नहीं होते बल्कि उनके पास एक पैनी सूंड जैसी होती है जिससे वो खून चूसते हैं6. एक मच्छर अपने वजन से 3 गुना ज्यादा खून पी सकता है7. मादा मच्छर एक बार में करीब 300 से ज्यादा अंडे देती है8. अंडे से निकलने के बाद मच्छर अपने शुरूआती 10 दिन पानी में ही बिताते हैं9. नर मच्छर का जीवन काल केवल 10 दिन तक होता है लेकिन मादा मच्छर 6 से 8 हफ़्तों तक जिन्दा रहती है10. मच्छरों की 6 टांगे होती हैं11. नर मच्छर मादा मच्छर को उनके पंखों की आवाज सेपहचानते हैं12. मच्छर बहुत ज्यादा दूर और बहुत तेजी से नहीं उड़ सकते13. मच्छर इंसान की साँस तक सूंघ लेते हैं14. हमारे पसीने से ही मच्छर हमारे खून के बारे में पता लगा लेते हैं15. मच्छरों के काटने से HIV नहीं फैलता16. मलेरिया मच्छरों दवारा फैलाया जाने वाला सबसेखतरनाक रोग है17. मच्छर दुनिया के खतरनाक जानवरों में आते हैं जिनके काटने से हर साल हजारों लोग मरते हैंदोस्तों कैसी लगी हमारी जानकारियाँ, फेसबुक पर शेयर करें और कमेंट करें….|||||
*******तारामीन*****
1.तारा मछलीइकाइनोडरमेटा संघकाअपृष्ठवंशीप्राणी है जो केवल समुद्री जल में ही पायी जाती ह|||
ै जो केवल समुद्री जल में ही पायी जाती है। इसके शरीर का आकार तारा जैसा होता है, शरीर में डिस्क और पांच भुजाएं होती है जो कड़े प्लेट्स से ढंकी रहता हैं। उपरी सतह पर अनेक कांटेदार रचनायें होती हैं। डिस्क पर मध्य में गुदा स्थित होती है। निचली सतह पर डिस्क के मध्य में मुंह स्थित है। भुजाओं पर दो कतारों मेंट्यूब फीटहोते हैं।प्रचलनकी क्रिया ट्यूबफीट के द्वारा होती है तथा पैपुलीद्वाराश्वसनकी क्रिया होती है। इसकी एक प्रजाति,Gohongaze कोजापानीलोग बडे चाव से खाते हैं।[3]तारामीनStarfishतारामीन की फ़्रोमिया मोनिलिस जातिवैज्ञानिक वर्गीकरणजगत(रेगन्म):जंतुसंघ(फाइलम):शूलचर्मी(Echinodermata)उपसंघ(सबफाइलम):ऐस्टरोज़ोआ (Asterozoa)वर्ग(क्लास):ऐस्टरोइडेआ(Asteroidea)द ब्लैंवीय, १८३०टैक्सोनवगण*.उपवर्गConcentricycloidea*.Peripodida*.महागणForcipulatacea*.Brisingida*.Forcipulatida*.महागणSpinulosacea*.Spinulosida*.महागणValvatacea*.Notomyotida*.Paxillosida*.Valvatida*.Velatida[1]†Calliasterellidae†Trichasteropsida[2]† द्वारा नामांकित कुलविलुप्तहो चुके ह
2..600 वॉट का करंट देने वाली मछली
वेल्ह और सील मछलियों का नाम आपने जरूर सुना होगा। ये मछलियां जहां अपनी विशालकाय देह अ...वेल्ह और सील मछलियों का नाम आपने जरूर सुना होगा। ये मछलियां जहां अपनी विशालकाय देह औरअन्य कारणों से लोगों के आकर्षण का केंद्र बनी हुई हैं, वहीं कुछ मछलियां ऎसी भी हैं जो अपने शिकार को फंसाने के लिए बिजली का झटका देकर मार देती हैं।शायद आपको इस बात पर ताज् जुब हो कि मछलियां करंट का झटका कैसी दे सकती हैं, पर यह सच है कि इलेक्ट्रिक केट फिश और इलेक्ट्रिक ईल नामक मछली अपने शिकार को मारने के लिए बिजली के हाई वॉल्टेज झटके का इस्तमाल करती हैं।मछलियों द्वारा उत्पादित करंट या बिजली का झटका उसके शरीर के भीतर मौजूद सैल्स जो कि इलेक्ट्रोलाइट कहलाते हैं में होता है। जब किसी इलेक्ट्रोलाइट को उत्तेजित किया जाता है तो उस सेल की बाहरी सतह पर मौजूद आयंस तेजी से चलने लगते हैं जिससे बिजली का उत्पादन होने लगता है।उदाहरण के तौर पर इलेक्ट्रिक कैट फिश लगभग 300 से 350 वॉट का बिजली का झटका देकर अपनेशिकार को मार सकती है। यह मछली मुख्य रूप से रात में शिकार करती और नील नदी में पाई जाती है।इसी तरह इलेक्ट्रिक ईल नामक मछली अपने शिकारको मारने के लिए करीब 600 वॉट का बिजली के झटके का उत्पादन कर सकती है जो एक घोड़े का शिकार करने के लिए काफी है।
3..खारे पानी के मगरमच्छ
खारे पानीका मगरमच्छ याएस्टूएराइन क्रोकोडाइल (estuarine crocodile)(क्रोकोडिलस पोरोसस) सबसे बड़े आकार का जीवित सरीसृप है। यह उत्तरी ऑस्ट्रेलिया,भारतके पूर्वी तट औरदक्षिण-पूर्वी एशियाके उपयुक्त आवास स्थानों में पाया जाता है।
शारीरिक रचना और आकारिकी
*खारे पानी के मगरमच्छ की थूथन, मगर कहलाने वाले मगरमच्छ से अधिक लम्बी होती है: आधार पर इसकी लम्बाई चौड़ाई से दोगुनी होती है।[1]अन्य प्रकार के मगरमच्छों की तुलना में, खारे पानी के मगरमच्छ की गर्दन पर कवच प्लेटों की संख्या कम होती है और अधिकांश अन्य पतले शरीर के मगरमच्छों की तुलना में इसके शरीर का चौड़ा होना, इस असत्यापित मान्यता को जन्म देता है की सरीसृप एक एलीगेटर(घड़ियाल) था।[2]चित्र:Saltieskull.JPGजूलॉजी के संग्रहालय, सेंट पीटर्सबर्ग से खारे पानी के मगरमच्छ की खोपड़ीएक वयस्क नर खारे पानी के मगरमच्छ का भार 600 से 1,000 किलोग्राम (1,300–2,200 पौंड) और लम्बाई सामान्यतया 4.1 से 5.5 मीटर (13–18 फीट) होती है। हालांकि परिपक्व नर की लम्बाई 6 मीटर (20 फीट) या अधिक और भार 1,300 किलोग्राम (2,900 पौंड) या अधिक भी हो सकता है।[3][4][5]किसी अन्य आधुनिक मगरमच्छ प्रजाति की तुलना में, इस प्रजाति में लैंगिक द्विरुपता सबसे अधिक देखने को मिलती है, इनमें मादा नर की तुलना में काफी छोटे आकार की होती है। एक प्रारूपिक मादा के शरीर के लम्बाई 2.1 से 3.5 मीटर (7–11 फीट) की रेंज में होती है।[2][3][6]अब तक दर्ज की गयी सबसे बड़े आकार की मादा की लम्बाई लगभग 4.2 मीटर (14 फीट) नापी गयी है।[5]पूरी प्रजाति का औसत भार मोटे तौर पर 450 किलोग्राम (1,000 पौंड) है।[7]खारे पानी के मगरमच्छ का सबसे बड़ा आकार काफी विवाद का विषय है। अब तक थूथन से लेकर पूंछ तक मापी गयी सबसे लम्बे मगरमच्छ की लम्बाई 6.1 मीटर (20 फीट) थी, जो वास्तव में एक मृत मगरमच्छ की त्वचा थी।चूंकि मृत त्वचा की परत के हटाये जाने के बाद (carcass) त्वचा थोड़ी सी सिकुड़ जाती है, इसलिए जीवित अवस्था में इस मगरमच्छ की अनुमानित लम्बाई 6.3 मीटर (21 फीट) रही होगी और संभवतया इसका वजन 1,200 किलोग्राम (2,600 पौंड)से अधिक रहा होगा।[8]ऐसा दावा किया गया है कि अधूरे अवशेष (उड़ीसामें शूट किये गए एक मगरमच्छ की खोपड़ी[9]) एक 7.6-मीटर (25 फीट) मगरमच्छ के हैं, परन्तु विशेषज्ञों के द्वारा किये गए परीक्षण बताते हैं कि इसकी लम्बाई 7 मीटर (23 फीट) से अधिक नहीं होगी।[8]9-मीटर (30 फीट) की रेंज में मगरमच्छों के असंख्य दावे किये गए हैं:बंगाल कीखाड़ीमें 1940 में शूट किये गए एक मगरमच्छ को 10 मीटर (33 फीट) पर दर्ज किया गया; एक और मगरमच्छ को 1823 मेंफिलिपिन्समें ल्युज़ोन के प्रमुख द्वीप पर जलजला में मारा गया, इसे 8.2 मीटर (27 फीट) पर दर्ज किया गया; 7.6 मीटर (25 फीट) पर दर्ज किये गए एक मगरमच्छ को कलकत्ता के अलीपुर जिले मेंहुगली नदीमें मारा गया। हालांकि, इन जानवरों की खोपड़ियों के परीक्षण वास्तव में इंगित करते हैं कि ये जानवर 6 से 6.6 मीटर (20–22 फीट) की रेंज से थे।हाल ही में खारे पानी के मगरमच्छ के आवास की बहाली और शिकार को कम किये जाने के कारण, यह संभव हो पाया है कि 7-मीटर (23 फीट) मगरमच्छ आज जीवित हैं।[10]गिनीज ने इस दावे को स्वीकार किया है कि एक 7-मीटर (23 फीट) नर खारे पानी का मगरमच्छ भारत के उड़ीसा राज्य में भीतरकनिका पार्क में रहता है,[9][11]हालांकि, एक बहुत बड़े आकार के जीवित मगरमच्छ को पकड़ने और इसके मापन में होने वाली कठिनाई के कारण, इन आयामों की सटीकता का सत्यापन अब तक किया जाना बाकी है।1957 में क्वींसलैंड में शूट किये गए एक मगरमच्छ की लम्बाई 8.5 मीटर (28 फीट) थी, लेकिन इस माप को सत्यापित नहीं किया गया और ना ही इस मगरमच्छ के कोई अवशेष अब मौजूद हैं। इस मगरमच्छ की एक "प्रतिकृति" बनाई गयी है जो पर्यटकों के आकर्षण का केंद्र बन गयी है।[12][13][14]8 मीटर से अधिक लम्बे (28 फीट से लम्बे) कई मगरमच्छों को भी दर्ज किया गया है लेकिन इनकी पुष्टि नहीं हुई है,[15][16]और इनकी संभावना अत्यधिक कम है।वितरणएडिलेड नदी में कूदते हुए मगरमच्छखारे पानी मगरमच्छ का प्रमुखखारे पानी का मगरमच्छभारतमें पाई जाने वाली मगरमच्छ की तीन प्रजातियों में से एक है, इसके अलावा मगर कहे जाने मगरमच्छ औरघड़ियालपाए जाते हैं।[17]भारत के पूर्वी तट के अलावा, यह मगरमच्छ भारतीय उपमहाद्वीप में अत्यंत दुर्लभ है। खारे पानी के मगरमच्छों की एक बड़ी आबादी (इनमें कई बड़े आकार के व्यस्क हैं, एक 7 मीटर की लम्बाई का नर भी शामिल है)उड़ीसाके भीतरकनिका वन्यजीव अभयारण्य में मौजूद है और येसुंदरवनके भारतीय और बांग्लादेश के हिस्सों में कम संख्या में पाए जाते हैं।उत्तरी ऑस्ट्रेलिया में (जिसमें उत्तरी क्षेत्र के उत्तरी हिस्से,पश्चिमी ऑस्ट्रेलियाऔरक्वीन्सलैंडशामिल हैं) खारे पानी के मगरमच्छ संख्या में खूब बढ़ रहेंहैं, विशेष रूप से डार्विन के पास बहुल नदी प्रणाली में (जैसे एडिलेड, मेरी और डेली नदियां और इनके साथ इनसे जुडी हुई नदशाखाएं और ज्वारनदमुख) जहां बड़े आकार के जीव (6 मीटर से अधिक) आम हैं। ऑस्ट्रेलियाई खारे पानी के मगरमच्छों की आबादी अनुमानतः 100,000 और 200,000 वयस्कों के बीच है।ये पूरे उत्तर क्षेत्री तट मेंपश्चिमी ऑस्ट्रेलियामें ब्रूम से लेकरक्वीन्सलैंडमें नीचे रॉकहैम्प्टन तक फैले हुए हैं। ताजे पानी में पाए जाने वाले मगरमच्छों की तुलना में खारे पानी के मगरमच्छों के एलीगेटर से मिलते जुलते होने के कारण, उत्तरी ऑस्ट्रेलिया की एलीगेटर नदियों का नाम बदल गया है। ताजे पानी के मगरमच्छ उत्तरी क्षेत्र में भी रहते हैं।न्यू गिनीमें भी वे आम हैं, जो सभी ज्वारनदमुख और मैंग्रोव सहित देश में लगभग सभी नदी प्रणालियों के तटीय क्षेत्रों में पाए जाते हैं। वे बिस्मार्क द्वीपसमूह, काई द्वीप, आरू द्वीप, मालुकु द्वीपऔर तिमोर क्षेत्र में आने वाले द्वीपों और टोरेस स्ट्रेटके भीतर अधिकांश द्वीपों में भी अलग अलग संख्या में पाए जाते हैं।खारे पानी का मगरमच्छ ऐतिहासिक रूप से पूरे दक्षिण पूर्वी एशिया में पाया गया, लेकिन अब इस रेंज में से विलुप्त हो चुका है। इस प्रजाति कोइंडोचाईनाके अधिकांशभागों में दशकों से जंगलों में दर्ज नहीं किया गया है औरथाईलैंड,लाओस,वियतनामऔर संभवतःकम्बोडियामें यह विलुप्त हो चुकी है। म्यांमार एक अधिकांश हिसों में इस प्रजाति की स्थिति जटिल है, लेकिन इर्रवाड्डी डेल्टा मेंकई बड़े आकार के वयस्कों की एक स्थिर आबादी है।[18]यह संभव है कि म्यांमार इंडोचाइना में एकमात्र देश है जहां आज भी इस प्रजाति की जंगली आबादी मौजूद है। हालांकि एक समय था जब मेकोंग डेल्टा (जहां से वे 1980 के दशक में गायब हो गए) और अन्य नदी प्रणालियों में खारे पानी के मगरमच्छ बहुत आम थे,इंडोचाइनामें इस प्रजाति का भविष्य खतरे में नज़र आ रहा है। हालांकि, इस बात की संभावना भी बहुत कम है कि मगरमच्छ पुरी दुनिया से विलुप्त हो जाये, क्योंकि इसका वितरण व्यापक है और उत्तरी ऑस्ट्रेलिया तथान्यू गिनीमें इसकी आबादी का आकार पूर्व-औपनिवेशिक प्रकार का है।इंडोनेशियाऔरमलेशियामें इसकी आबादी छिटपुट है, जबकि कुछ क्षेत्रों में अधिक आबादी भी है (जैसेबोर्नियो) और कई अन्य स्थानों पर इसकी आबादी बहुत कम है, जो जोखिम (विलुप्त होने के कगार पर) पर है, (उदाहरणफिलिपीन्स).सुमात्राऔरजावामें इस प्रजाति की स्थिति बड़े पैमाने पर अज्ञात है (हालांकि समाचार एजेंसियों और विश्वसनीय स्रोतों के द्वारा सुमात्रा के पृथक्कृत क्षेत्रों में बड़े मगरमच्छों के द्वारा मनुष्यों पर हमला किये जाने कीरिपोर्टें हाल ही में दर्ज की गयी हैं).उत्तरी ऑस्ट्रेलिया के आस पास मगरमच्छों के पाए जाने के बावजूद,बालीमें अब मगरमच्छ नहीं बचे हैं। खारे पानी का मगरमच्छ दक्षिण प्रशांत के बहुत सीमित हिस्से में भी पाया जाता है,सोलोमन द्वीपमें इसकी आबादी औसत है, वानुअतु (जहां आबादी अधिकारिक तौर पर केवल तीन रह गयी है) में इसकी आबादी बहुत कम, आक्रामक और जल्दी ही विलुप्त होने वाली हैऔर पलाऊ में यह आबादी आक्रामक नहीं है, परन्तु जोखिम पर है (जिसके बढ़ जाने की संभावना है).एक समय था जब खारे पानीके मगरमच्छ सेशेल्स द्वीप मेंअफ्रीकाके उत्तरी तट से लेकर पश्चिम तक पाए जाते थे। ऐसा माना जाता था कि ये मगरमच्छ नील नदी की आबादी हैं, लेकिन बाद में यह प्रमाणितहो गया कि वे येक्रोकोडिलस पोरोससहैं।[2]क्योंकि समुद्र में लम्बी दूरी की यात्रा करना इस प्रजाति की प्रवृति है, इसलिए कभी कभी ये मगरमच्छ ऐसे अजीब स्थानों पर भी देखे जाते हैं, जहां के वे स्थानीय निवासी नहीं हैं। आवार किस्म के जीव भी ऐतिहासिक रूप से न्यू कैलेडोनिया, लवो जिमा,फिजीऔर यहां तक कि जापान के अपेक्षाकृत उदासीन समुद्र (उनके स्थानीय आवास स्थान से हजारों मील दूर) में भी पाए गए हैं। 2008 के दशक के अंत /2009 के दशक के प्रारंभ में फ्रेजर द्वीप की नदी प्रणाली में कई वन्य खारे पानी के मगरमच्छ पाए गए, इन्हेंइनकी सामान्य क्वीन्सलैंड रेंज से हजारों किलोमीटर दूर अधिक ठन्डे पानी में पाया गया। ऐसा पाया गया कि वास्तव में ये मगरमच्छ गर्म और नम मौसम के दौरान उत्तरी क्वीन्सलैंड से अप्रवास कर के दक्षिण में आ जाते थे और संभवतया तापमान गिरने पर फिर से उत्तर को लौट आते थे। फ्रेजर द्वीप की जनता में आश्चर्य के बावजूद, यह ज़ाहिर तौर पर कोई नया व्यवहार नहीं है और इससे पहले भी कई बार ऐसा पाया गया है कि वन्य मगरमच्छ गर्म नम मौसम के दौरान दक्षिण में जैसे ब्रिसबेन तक आ गए हों.आवासखारे पानी का मगरमच्छ ऑस्ट्रेलिया के उत्तरी क्षेत्रमें कोरोबोरे में धूप सेंकते हुए.खारे पानी के मगरमच्छ आमतौर पर उष्णकटिबंधीय नम मौसम के दौरान दलदल और ताजे पानी की नदियों में पाए जाते हैं और शुष्क मौसम में नीचे की ओर ज्वारनदमुख की तरफ चले जाते हैं, कभी कभी बहुत दूर तक यात्रा करते हुए समुद्र के बाहर तक भी आ जाते हैं। मगरमच्छ को विशेष रूप से सबसे उपयुक्त ताजे पानी की नदियों में जगह पाने के लिए प्रभावी नर जीवों के साथ, खूब प्रतिस्पर्धा करनी पड़ती है। इस प्रकार से छोटे मगरमच्छ सीमांत नदी प्रणालियों और कभी कभी समुद्र में जाने कि लिए मजबूर हो जाते हैं। यह तथ्य इस जानवर के व्यापक वितरण को स्पष्ट करता है (यह भारत के पूर्वी तट से लेकर उत्तरी ऑस्ट्रेलिया तक पाया जाता है). साथ ही कभी कभी इसका अजीब स्थानों में पाया जाना भी इससे स्पष्ट हो जाता है (जैसे जापान के समुद्र में). खारे पानी के मगरमच्छ छोटे समूहों में तैरते हैं,15 से 18 मील प्रति घंटा (6.7 से 8.0 मी/से) लेकिन जब बड़े समूह में तैरने लगते हैं 2 से 3 मील/घंटा (0.9 से 1.3 मी/से)आहार और व्यवहारककादु राष्ट्रीय उद्यान से तैरने के कोई संकेत नहीं.खारे पानी का मगरमच्छ एक अवसरवादी शीर्ष शिकारी है जो इसके क्षेत्र में प्रवेश करने वाले लगभग किसी भी जानवर का शिकार कर सकता है, चाहे वह पानी में हो या शुष्क भूमि पर. वे इनके क्षेत्र में प्रवेश करने वाले मनुष्यों पर भीहमला करने के लिए जाने जाते हैं। किशोर जीवों को छोटे जानवरों का शिकार करने की मनाही होती है जैसेकीट, उभयचर, केंकड़े, छोटेसरीसृपऔरमछली.जैसे जैसे जानवर बड़ा होता जाता है, इसके आहार में कई प्रकार के जानवर शामिल होते जाते हैं, हालांकि अपेक्षाकृत छोटे आकार के शिकार भी एक व्यस्क के आहार का महत्वपूर्ण हिस्सा बनाते हैं। बड़े आकार के व्यस्क खारे पानी के मगरमच्छ अपनी रेंज में आने वाले किसी भी जानवर को खा सकते हैं, इसमेंबन्दर,कंगारू,जंगली सूअर, डिंगो (एक प्रकार का कुत्ता), गोआना,पक्षी, घरेलू पशु, पालतू जानवर,मनुष्य, पानी की भैंस,गौर,चमगादड़और यहां तक किशार्कभी शामिल है।[10][19][20][21]घरेलू पशु,घोड़े, पानी की भैंस और गौर, वे सभी जिनका वजन एक टन से भी अधिक होता है, वे नर मगरमच्छ के द्वारा किये जाने वाले सबसे बड़े शिकार माने जाते हैं। आम तौर परये बहुत सुस्त होते हैं- यह एक ऐसी विशेषता है जिसकी वजह से ये कई महीनों तक भोजन के बिना जीवित रह सकते हैं- ये अक्सर पानी में मटरगश्ती करते हैं और दिन में धूप सेंकते हैं और रात में शिकार करना पसंद करते हैं। खारे पानी के मगरमच्छ जब पानी से हमला करते हैं तब विस्फोटक गति से आगेबढ़ते हैं।मगरमच्छ की कहानियों को भूमि पर कम दूरी के लिए रेस के घोड़े की तुलना में अधिक जाना जाता है, ये शहरी कहानियों से कुछ बढ़कर हैं। पानी के किनारे पर, तथापि, वे दोनों पैरों और पूंछ से प्रणोदन गठजोड़ कर सकते हैं, इसका प्रत्यक्ष दर्शन दुर्लभ है।हमला करने से पहले यह आमतौर पर इन्तजार करता है कि शिकार पानी के किनारे पर आ जाये, इसके बाद यह अपनी पूरी क्षमता से जानवर को पानी में खींच लेता है। ज्यादातर शिकार किये जाने वाले जानवरों को मगरमच्छ के जबड़े के दबाव से ही मारदिया जाता है, हालांकि कुछ जानवर संयोग से डूब जाते हैं। यह एक शक्तिशाली जानवर है, यह एक पूर्ण विकसित पानी की भैंस को नदी में घसीट सकता है, या पूर्ण विकसित बोविड को अपने जबड़ों से कुचल सकता है। इसकी शिकार की प्ररुपिओक तकनीक को "डेथ रोल" के रूप में जाना जाता है: यह जानवर को जकड का पूरी क्षमता के साथ रोल कर देता है। इससे किसी भी संघर्षरत जानवर का संतुलन बिगड़ जाता है, जिससे इसे पानी में खींचना आसान हो जाता है। "डेथ रोल" तकनीक का उपयोग एक मृत जानवर को फाड़ने के लिए भी किया जाता है।खारे पानी के शिशु मगरमच्छ छिपकली, शिकारी मछली, पक्षी औरकई अन्य शिकारियों का शिकार भी बन सकते हैं। किशोर अपनी रेंज केबंगाल टाइगरऔर तेंदुओं का भी शिकार बन सकते हैं, हालांकि यह दुर्लभ है।होशियारी (सहजज्ञान)एक शोधकर्ता, डॉ॰ एडम ब्रित्तन,[22]ने मगरमच्छों की होशियारी या सहजज्ञान पर अध्ययन किया है। उन्होंने ऑस्ट्रेलियाई मगरमच्छों के आवाजों के संग्रह को संकलित किया है,[23]और इन्हें उनके व्यवहार के साथ सम्बंधित किया है।उनके अनुसार मगरमच्छ के मस्तिष्क का आकार स्तनधारियों की तुलना में काफी छोटा होता है (खारे पानी के मगरमच्छ में शरीर के भार का सिर्फ 0.05%), वे बहुत कम शर्तों के साथ बहुत मुश्किल काम को भी सीख सकते हैं। उन्होंने यह भीनिष्कर्ष निकाला है कि मगरमच्छ की आवाज में भाषा की गहन क्षमता निहित है। जबकि वर्तमान में इस क्षमता को इतना अधिक स्वीकार नहीं किया गया है। उनका सुझाव है कि खारे पानी के मगरमच्छ चालाक जानवर हैं, जो प्रयोगशाला चूहों की तुलना में अधिक तेजी से सीख सकते हैं। वे मौसम में परिवर्तन के साथ अपने शिकार के अप्रवासी मार्ग का पता लगाना भी सीख लेते हैं।मनुष्यों पर हमलेऑस्ट्रेलिया के बाहर हमलों के आंकड़े सीमित हैं। ऑस्ट्रेलिया में हमले दुर्लभ हैं और जब कभी ये हमले होते हैं, तो राष्ट्रीय समाचार प्रकाशनों में दिखाई देते हैं।देश में हर साल लगभग एक या दो घातक हमले दर्ज किये जाते हैं।[24]छोटे स्तर के हमले संभवतया ऑस्ट्रेलिया में वन्यजीव अधिकारीयों के द्वारा किये जाने वाले गहन प्रयासों के कारण होते हैं, जब वे कई जोखिम युक्त नदमुखों, नदियों, झीलों और समुद्र के किनारों पर चेतावनी के संकेत लगाने का काम कर रहे होते हैं। आर्न्हेम भूमि केबड़े आदिवासी समुदायों पर होने वाले हमले दर्ज ही नहीं किये जाते.[कृपया उद्धरण जोड़ें]हाल ही मेंबोर्नियो,[25]सुमात्रा,[26]पूर्वी भारत (अंडमान द्वीप समूह)[27][28]और म्यांमार में हमले हुए हैं,[29]जिनका अधिक प्रचार नहीं हुआ।19 फ़रवरी 1945 को रामरी द्वीप की लड़ाई में जब जापानी सैनिक लौट रहे थे, उस समय खारे पानी के मगरमच्छों ने उन परहमला किया और इसमें 400 जापानी सैनिकों की मौत हो गयी। ब्रिटिश सैनिकों ने उस दलदल को घेर लिया, जहां से जापानी लौट रहे थे, एक रात के लिए जापानियों को उस मैंग्रोव में रुकना पड़ा, जहां हजारों की संख्या में खारे पानी के मगरमच्छ रहते थे।रामरी के मगरमच्छ के इस हमले को गिनीज़ बुक ऑफ़ रिकॉर्ड्स में दर्ज किया गया है, इसका शीर्षक है "द ग्रेटेस्ट डिसास्टर सफर्ड फ्रॉम एनिमल्स"||
*.मगरमच्छ का हमला*
मगरमच्छ को देखकर क्या आपके चेहरे पर कभीमुस्कराहट आ सकती है? संगीत और नाटक के तौर पर लिखी गयी बच्चों की एक कहानीपीटर पैनमें एक किरदार कैप्टन हुक सबको इस तरह खबरदार करता है, “मगर को देखकर कभी मुस्कराने की मत सोचना।” भला क्यों? वह बताता है, क्योंकि उस वक्त मगरमच्छ के “दिमाग में सिर्फ यह घूम रहा होता है कि कब आपको चट कर जाए।”यह सच है कि दुनिया-भर में पाए जानेवाले तरह-तरह के मगरमच्छों में, कुछ ऐसे हैं जोइंसानों पर हमला करते हैं। लेकिन “ऐसा इतना कम होता है . . . कि आम तौर पर इन्हें आदमखोर नहीं कहा जा सकता।” (इनसाइक्लोपीडिया ब्रिटैनिका) कुछ लोगोंकी नज़र में मगरमच्छ बदसूरत और डरावना होता है तो कुछ के लिए यह बहुत दिलचस्प जानवर है। आइए भारत में पायी जानेवाली मगरमच्छ की तीन किस्मों पर गौर करें। खारे पानी में रहनेवाला मगर, मीठे पानी में रहनेवाला मगर और घड़ियाल।खारे पानी का बड़ा मगरखारे पानी या मुहाने (समुद्र और नदी के संगम) पर रहनेवाला मगर, धरती पर रेंगनेवाले सभी जंतुओं में सबसे बड़ा होता है। इसकी लंबाई 23 फीट[7 m]या उससे ज़्यादा और वज़न 1,000 किलोग्राम तक हो सकता है। यह सिर्फ खारे पानी में हीरहता है। यह भारत से लेकर उत्तरी ऑस्ट्रेलिया तक के सागर तटों के दलदलों में पाया जाता है जहाँ मैनग्रोव नाम के पेड़ उगते हैं, साथ ही इनके बीच के मुहानों और समुद्रों में पाया जाता है। यह मांसाहारी होता है इसलिए चूहे, मेंढक, मछली, साँप, केकड़े, कछुए यहाँ तक कि हिरन को भी निगल जाता है। लेकिन इसकी खुराक बहुत कम होती है। बड़ा नर एक दिन में सिर्फ 500 से 700 ग्राम खाना खाता है। यह एक आराम-पसंद जानवर है। यह या तो धूप सेंकता रहता है या फिर बिना हिले-डुले पानी में पड़ा रहता है और इसका हाज़मा भी बहुत अच्छी तरह काम करता है। इन्हीं वजहों से इसे ज़्यादा ऊर्जा की ज़रूरत नहीं पड़ती। कभी-कभार खारे पानी में रहनेवाला बड़ा मगरमच्छ किसी बेखबर इंसानपर हमला कर सकता है। यह अपनी पूँछ को दाएँ-बाएँ हिलाकर पानी में तैरता है और ऐसे में इसका सारा शरीर पानी के अंदर रहता है, सिर्फ नथुने और आँखें बाहर होती हैं। ज़मीन पर यह अपने छोटे-छोटे पैरों के बल चलता है। अपना शिकार पकड़ने के लिए यह ज़ोरदार छलाँग भी लगा सकता है और कई दफे तो इसे शिकार के पीछे सरपट दौड़ते भी देखा गया है। दूसरे मगरमच्छों की तरह इसकी सूँघने, देखने और सुनने की शक्ति बहुत तेज़ होती है। नर मगरमच्छ सहवास के मौसम में अपने इलाके की रखवाली करते वक्तबहुत ही हिंसक हो जाता है, उसी तरह मादा अपने अंडों की रखवाली के समय बहुत खूँखारहो जाती है।बच्चों को जी-जान से पालनेवाली माँमादा मगरमच्छ अकसर समुद्र के किनारे सड़ी-गली पत्तियों, घास-फूस और मिट्टी से अपना घरौंदा बनाती है। कभी-कभी वह एक बार में 100 अंडे तक देती है, जिनके खोल बहुतसख्त होते हैं। फिर वह अंडों को अच्छी तरह ढक देती है और शिकारियों से उनकी हिफाज़त करती है। इसके बाद,वह अपने घरौंदे पर पानी छिड़कती है ताकि घास-फूस से बना घर और भी सड़ने लगे, उससे ज़्यादा गर्मी पैदा हो और अंडों की अच्छी सिंकाई हो।अब आगे जो होता है, वह बहुत दिलचस्प है। अंडे से निकलनेवाले बच्चों का लिंग, अंडेको मिलनेवाले तापमान पर निर्भर करता है। है न, अनोखी बात! जब अंडे को 28 से 31 डिग्री सेलसियस तक का तापमान मिलता है तोकरीब 100 दिन में उसमें से मादा मगरमच्छनिकलती है। और जब तापमान 32.5 डिग्री सेलसियस होता है तो अंडे में से 64 दिनोंके अंदर नर मगरमच्छ निकलता है। लेकिन तापमान 32.5 से 33 डिग्री सेलसियस के बीच हो, तो उसमें से नर या मादा कोई भी निकल सकता है। घरौंदे की एक तरफ पानी, तो दूसरी तरफ सूरज की कड़कती धूप होती है इसलिए जिस तरफ गर्मी होती है, उधर से नर और जिस तरफ ठंडक होती है वहाँ से मादा निकल सकती है।जब माँ बच्चे की चिचियाहट सुनती है, तो वहघरौंदे पर से घास-फूस हटा देती है और कभी-कभी जब बच्चे अपने खास दाँतों से अंडे को नहीं तोड़ पाते, तो वह खुद उसे तोड़ देती है। फिर बच्चे को बहुत सँभालकरअपने बड़े जबड़ों में उठाती है और जीभ के नीचे थैलीनुमा जगह में रखकर पानी के किनारे ले जाती है। ये बच्चे जन्म से ही अपने बलबूते जीने लगते हैं और फौरन कीड़े-मकोड़े, मेंढक और छोटी-छोटी मछलियाँ पकड़ने लग जाते हैं। लेकिन कुछ माँएं बच्चों को एक इलाके में रखकर उनके आस-पास ही रहती हैं और कई महीनों तक उनकी हिफाज़त करती हैं। साथ ही पिता भी बच्चोंकी देखभाल और हिफाज़त करता है।
3..मीठे पानी का मगर और लंबी नाकवाला घड़ियाल
मीठे पानी का मगर और लंबी नाकवाला घड़ियालमीठे पानी का मगर और घड़ियाल सिर्फ भारत के उप-महाद्वीप में पाए जाते हैं। इस मगर की लंबाई करीब 13 फीट[4 m]होती है यानीखारे पानी के मगर के मुकाबले यह काफी छोटा होता है। यह भारत के मीठे पानी के दलदलों, झीलों और नदियों में पाया जाता है। यह छोटे-छोटे जानवरों को अपने शक्तिशाली जबड़ों से धरदबोचता है और पानी में डुबा-डुबाकर, इधर-उधर उछालकर उसके टुकड़े-टुकड़े करके खाता है।मगरमच्छ अपना साथी कैसे ढूँढ़ता है? जब उसे साथी की तलाश होती है तो वह अपना जबड़ा ज़ोर-ज़ोर से पानी पर मारते हुए गुर्राता है। सहवास के बाद वह घरौंदे की रखवाली करने, बच्चों को अंडे से बाहर निकालने और कुछ समय तक उनकी देखभाल करने में मादा का साथ निभाता है।घड़ियाल जो कि बहुत कम पाए जाते हैं, असल में मगरमच्छ नहीं होते बल्कि कई तरीकों से उनसे बहुत अनोखे होते हैं। अपने लंबे और तंग जबड़ों से घड़ियाल आसानी से पहचाने जाते हैं। मछली उनका खास भोजन है और उनके ये जबड़े मछली पकड़ने के लिए बिलकुल सही होते हैं। हालाँकि घड़ियालोंकी लंबाई खारे पानी के मगरमच्छों के जितनी होती है लेकिन घड़ियाल इंसान पर हमला नहीं करते। ये मगरमच्छों के मुकाबले कम मोटे और कम खुरदरे होते हैं इसलिए उत्तरी भारत की गहरी और तेज़ बहती नदियों में बड़ी रफ्तार से तैर सकते हैं।सहवास के दौरान नर घड़ियाल के थूथन का सिरा गुब्बारे की तरह उभर आता है। इससे उसकी सिसकारने की आवाज़ मोटी और भारी हो जाती है और मादा घड़ियाल उसकी तरफ खिंची चली आती है।पर्यावरण में इनका काममगरमच्छ हमारे पर्यावरण के लिए कितने ज़रूरी हैं? ये नदियों, झीलों और उनकेआस-पास के इलाकों से सड़ी-गली मछलियाँ औरजानवर खाते हैं। इस तरह ये पानी को गंदा होने से बचाते हैं। ये कमज़ोर, घायल और बीमार जानवरों का शिकार करते हैं। ये मछलियाँ खाते हैं, जैसे कि कैटफिश। कैटफिश व्यापार के नज़रिए से बड़ी नुकसानदेह हैं क्योंकि ये कार्प और तिलापिया मछलियाँ खा जाती हैं जिन्हें बड़े पैमाने पर इंसानों के खाने के लिए पकड़ा जाता है।मगरमच्छ के आँसू नहीं बल्कि जीने केलिए संघर्षक्या आपने किसी को यह कहते सुना है कि उसके तो मगरमच्छ के आँसू थे? इसका मतलब है, झूठमूठ का रोना या दिखावटी शोक। पर जहाँ तक मगर की बात है, उसके आँसुओं के ज़रिए उसके शरीर का अनचाहा नमक बाहर निकलजाता है। लेकिन सन् 1970 के दशक की शुरूआत में मगरमच्छों के लिए शायद सचमुच ही आँसू बहाए गए हों। उस वक्त भारत में सिर्फ कुछ हज़ार मगर रह गए थे या दूसरे शब्दों में कहें तो पहले उनकी जितनी संख्या थी, उसका सिर्फ 10 प्रतिशत रह गयाथा। क्यों? क्योंकि इंसान जैसे-जैसे मगर के इलाकों पर कब्ज़ा करने लगे, उनका जीना दुश्वार हो गया। क्योंकि मगरमच्छ छोटे और कमज़ोर पालतू जानवरों को खा जाते थे इसलिए उन्हें खतरा समझकर मार डाला जाता था। इसके अलावा, कइयों की जीभ पर मगर के गोश्त और अंडों का स्वाद चढ़ गया था। मगरमच्छ की कस्तूरी ग्रंथियों का इस्तेमाल इत्र बनाने के लिए किया जाने लगा। उस पर से, बाँध बनाने और पानी के प्रदूषण की वजह से मगरमच्छों की आबादी बहुत घट गयी। लेकिन जिस वजह से मगर के धरती से गायब होने की नौबत आयी, वह थी उसके चमड़े की माँग। मगर के चमड़े से बने जूते, छोटे-बड़े बैग, बेल्ट और दूसरी चीज़ें इतनी सुंदर और टिकाऊ होती हैं कि सभी इन चीज़ों को चाहने लगे। हालाँकि इस वजह से मगरमच्छों को आज भी खतरा है, लेकिनउनकी हिफाज़त के लिए जो कदम उठाए गए उससे बहुत कामयाबी मिली है!—नीचे दिया बक्स देखिए।मुस्कराना मत भूलिए!अब जबकि मगर परिवार के कुछ सदस्यों को आप और करीब से जान गए हैं तो उनके बारे में आपका क्या खयाल है? अगर उनके बारे में पहले आपके खयालात अच्छे नहीं थे तो उम्मीद करते हैं कि अब उनमें आपकी दिलचस्पी जागी होगी। दुनिया-भर में ऐसे बहुत-से लोग हैं, जो जानवरों से प्यार करते हैं और एक ऐसे दिन की आस लगाए हुए हैं जब वे किसी भी जानवर, यहाँ तक कि खारे पानी के बड़े मगर से भी नहीं डरेंगे। रेंगनेवाले जंतुओं का रचयिता, जब इस धरतीको नया रूप देगा
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Very noice बिजली पैदा करने वाली मछली का नाम क्या है? thja
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