Sunday 4 February 2018

इंसान के जुओं और पिस्सुओं से फैला प्लेग, सबसे खतरनाक वायरस इबोला वायरस भयंकर हो सकता है,भारत की सात खतरनाक जानलेवा बीमारियां लेकिन वह दुनिया का सबसे खतरनाक वायरस नहीं है. ना ही एचआईवी वायरस. पेश है दुनिया के 10 सबसे खतरनाक वायरसों की सूची

14वीं शताब्दी में यूरोप से प्लेग फैला और देखते देखते ढाई करोड़ लोगों की जान चली गई. प्लेग के लिए चूहों को जिम्मेदार माना गया. लेकिन यह बड़ी चूक थी. असल में प्लेग इंसान के साथ रहने वाले पिस्सुओं और जुओं से फैला...
नॉर्वे की ओस्लो यूनिवर्सिटी और इटली की फेरारा यूनिवर्सिटी की रिसर्च का दावा है कि प्लेग इंसान और उसके शरीर में रहने वाले परजीवियों की वजह से फैला. अब तक प्लेग के लिए चूहों को जिम्मेदार ठहराया जाता रहा है. नेशनल एकेडमी ऑफ साइंस में छपे लेख में कैथेरिन आर डीन ने कहा, "इस महामारी के प्रसार को लेकर कई तरह के सवाल हैं और यह भी कि आखिर ये इतनी तेजी से कैसे फैला." कैथेरिन आर डीन इस रिसर्च की प्रमुख हैं.

डीन और उनके साथियों ने 1348 से 1813 तक सामने आए प्लेग के नौ बड़े मामलों का अध्ययन किया. इस दौरान प्लेग की सबसे ज्यादा मार स्पेन के बार्सिलोना, इटली के फ्लोरेंस, यूके के लंदन, स्वीडन के स्टॉकहोम, रूस के मॉस्को और पोलैंड के ग्दांस्क शहर पर पड़ी. प्लेग ने करोड़ों लोगों की जान ली. हालत यह हो गई कि शव की अंतिम यात्रा तक के लिए लोग नहीं बचे. सारी मौतों के पीछे एक ही बैक्टीरिया जिम्मेदार था, येरसिनिया पेस्टिस. इसे प्लेग या ब्लैक डेथ भी कहा जाता है.

(प्लेग के रोगियों को भी अलग थलग कर दिया जाता था)

 सबसे खतरनाक वायरस

इबोला वायरस भयंकर हो सकता है, लेकिन वह दुनिया का सबसे खतरनाक वायरस नहीं है. ना ही एचआईवी वायरस. पेश है दुनिया के 10 सबसे खतरनाक वायरसों की सूची...

1. सबसे खतरनाक वायरस मारबुर्ग वायरस है. इस वायरस का नाम लान नदी पर बसे छोटे और शांत शहर पर है. लेकिन इसका बीमारी से कुछ लेना देना नहीं है. मारबुर्ग रक्तस्रावी बुखार का वायरस है. इबोला की तरह इस वायरस के कारण मांसपेशियों के दर्द की शिकायत रहती है. श्लेष्मा झिल्ली, त्वचा और अंगों से रक्तस्राव होने लगता है. 90 फीसदी मामलों में मारबुर्ग के शिकार मरीजों की मौत हो जाती है.
2. इबोला वायरस की पांच नस्लें हैं. हर एक का नाम अफ्रीका के देशों और क्षेत्रों पर रखा गया है. जायरे, सुडान, ताई जंगल, बुंदीबुग्यो और रेस्तोन. जायरे इबोला वायरस जानलेवा है, इसके शिकार 90 फीसदी मरीजों की मौत हो जाती है. इस नस्ल का वायरस फिलहाल गिनी, सियरा लियोन और लाइबिरिया में फैला हुआ है. वैज्ञानिकों का कहना है कि शायद फ्लाइंग फॉक्स ने इसे शहरों में लाया होगा.
3. तीसरे नंबर पर हंटा वायरस है. हंटा वायरस के कई प्रकार का वर्णन है. इस वायरस का नाम उस नदी पर रखा गया है जहां माना जाता है कि सबसे पहले अमेरिकी सैनिक इसकी चपेट में आए थे. 1950 के कोरियाई युद्ध के दौरान वे इसकी चपेट में आए थे. इस वायरस के लक्षणों में फेफड़ों के रोग, बुखार और गुर्दा खराब होना शामिल हैं.
4. बर्ड फ्लू की विभिन्न नस्लें आतंक का कारण होती हैं. जो शायद जायज है क्योंकि इसमें मृत्यु दर 70 फीसदी है. लेकिन वास्तव में H5N1 नस्ल के वायरस के चपेट में आने का जोखिम बेहद कम होता है. आप सिर्फ तभी इस वायरस के चपेट में आते हैं जब आपका संपर्क सीधे पोल्ट्री से होता है. यही वजह है कि ऐसा कहा जाता है कि एशिया में ज्यादातर मामले क्यों सामने आते हैं. वहां अक्सर लोग मुर्गियों के करीब रहते हैं.
5. लस्सा वायरस से संक्रमित होने वाली पहली शख्स नाइजीरिया में एक नर्स थी. यह वायरस चूहों और गिलहरियों से फैलता है. यह वायरस एक विशिष्ट क्षेत्र में होता है, जैसे पश्चिमी अफ्रीका. इसकी कभी भी पुनरावृत्ति हो सकती है. वैज्ञानिकों का मानना है कि पश्चिम अफ्रीका में 15 फीसदी कतरने वाले जानवर इस वायरस को ढोते हैं.

मारबुर्ग वायरस

6. जुनिन वायरस अर्जेंटाइन रक्तस्रावी बुखार से जुड़ा है. वायरस से संक्रमित लोग ऊतक में सूजन, सेप्सिस और त्वचा से खून आने का शिकार होते हैं. समस्या ये है कि इसके लक्षण इतने आम हैं कि बीमारी के बारे में पहली बार में कम ही पता लग पाता है.
7. क्रीमियन कांगो बुखार वायरस खटमल जैसे जीवों से फैलता है. यह वायरस इबोला और मारबुर्ग जैसे वायरस की ही तरह विकास करता है. संक्रमण के पहले कुछ दिनों में मरीज के चेहरे, मुंह और ग्रसनी से रक्तस्राव होता है.
8. मचुपो वायरस बोलिवियन हीमोरेजिक फीवर से संबंधित है. इसे ब्लैक टाइफस के नाम से भी जाना जाता है. संक्रमण के कारण तेज बुखार और भारी रक्तस्राव होता है. यह जुनिन वायरस की तरह विकास करता है. यह वायरस इंसानों से इंसानों में फैलता है.
9. वैज्ञानिकों ने 1955 में भारत के पश्चिमी तट में स्यास्नूर फॉरेस्ट वायरस (केएफडी) वायरस की खोज की थी. यह वायरस भी जीवों से फैलता है. लेकिन वैज्ञानिकों का कहना है कि यह निर्धारित कर पाना मुश्किल है कि यह किस खास जीव से फैलता है. इस वायरस के शिकार मरीजों में तेज बुखार, सिरदर्द और मांसपेशियों में दर्द होता है. इससे रक्तस्राव भी होता है.
10. डेंगू बुखार का खतरा लगातार बरकार रहता है. डेंगू बुखार मच्छरों से फैलता है. इस बुखार से हर साल 5 करोड़ से लेकर 10 करोड़ लोग बीमार पड़ते हैं. भारत और थाइलैंड जैसे देशों में डेंगू का खतरा काफी बड़ा है.

भारत की सात खतरनाक जानलेवा बीमारियां

कई घातक बीमारियों को अब दवा और चिकित्‍सा उपचार की मदद से जड़ से दूर किया जा सकता है। लेकिन अभी भी कुछ घातक बीमारियों का सामना हम कर रहे हैं, इन पर ध्‍यान देने की जरूरत है।

जानलेवा बीमारियां

चि‍कित्‍सा क्षेत्र में प्रगति के साथ-साथ, भारत में स्‍वास्‍थ्‍य की स्थिति में भी बदलाव आया है। कई घातक बीमारियों को दवा और चिकित्‍सा उपचार की मदद से जड़ से दूर किया गया है। लेकिन अभी भी कुछ घातक बीमारियों का सामना हम कर रहे हैं, इन पर ध्‍यान देने की जरूरत है। और भारतीय स्वास्थ्य प्रणालियों को राष्ट्रीय और अंतरराष्ट्रीय लक्ष्यों तक पहुंचने के लिए मजबूत बनाने की कोशिश की जानी चाहिए। ऐसी ही कुछ जानलेवा बीमारियों की जानकारी यहां दी गई है।   

हृदय रोग

भारत देश में लगभग 24.8 प्रतिशत मौते हृदय रोग के कारण होती है। हालांकि यह परिहार्य है लेकिन दिल की बीमारी से मरने वाली की संख्‍या में हर साल इजाफा जारी है। जोखिम कारकों और सावधानियों की सही जानकारी के अभाव ने बीमारी और लोगों के बीच मौत की संभावना को बढ़ा दिया है। स्‍वास्‍थ्‍य मंत्रालय ने 2015 तक भारत में लगभग 60 लाख से अधिक लोगों में हृदय रोग होने की आंशका का अनुमान लगाया है। हृदय रोग के प्रमुख कारणों में तम्बाकू धूम्रपान, मोटापा, अस्वास्थ्यकर आहार, शारीरिक निष्क्रियता, उच्च कोलेस्ट्रॉल, हाई ब्लड प्रेशर और आनुवंशिकता शामिल हैं। दिल की बीमारी को स्वस्थ आहार, स्वस्थ वजन और गलत आदतों को छोड़कर रोका जा सकता है।  

सांस की बीमारियां

सांस की बीमारियों के चलते भारत में हर साल लगभग 10.2 प्रतिशत लोग मौत के शिकार होते हैं। सांस की बीमारियों के मुख्‍य कारणों में वायु प्रदूषण, धूम्रपान, एस्बेस्टॉसिस, आदि शमिल है। व्यावसायिक खतरों से परहेज, स्‍वस्‍थ आहार अपनाना, शुद्ध हवा में सांस लेना और धूम्रपान छोड़ना, सांस की बीमारियों को रोकने के सबसे प्रभावी तरीके हैं। 

क्षय रोग (टीबी)

तपेदिक, क्षयरोग या टीबी एक आम और कई मामलों में घातक संक्रामक बीमारी है जो माइक्रो बैक्टीरिया, आमतौर पर माइको बैक्टीरियम टीबी के विभिन्न प्रकारों के कारण होती है। टीबी आम तौर पर फेफड़ों पर हमला करता है, लेकिन यह शरीर के अन्य भागों को भी प्रभावित कर सकता हैं। यह हवा के माध्यम से तब फैलता है, जब वे लोग जो सक्रिय टीबी संक्रमण से ग्रसित हैं, खांसी, छींक, या किसी अन्य प्रकार से हवा के माध्यम से अपना लार संचारित कर देते हैं। हर साल भारत में लगभग 10.1 प्रतिशत लोग इस जानलेवा बीमारी का शिकार बनते हैं। क्षय रोग को टीकाकरण, स्वस्थ आहार और जीवन शैली और नियमित रूप से निवारक परीक्षण से रोका जा सकता है।

पाचन विकार और डायरिया

घंटों एक ही जगह बैठ कर काम करना, जल्दी-जल्दी खाने के चक्कर में फास्ट फूड या जंक फूड खा लेना, बिगड़ी हुई दिनचर्या, कम शारीरिक श्रम करना, काम का तनाव और पूरी नींद नहीं लेना आज के लोगों की आदतों में शुमार हो गया है। इनकी वजह से अधिकांश लोगों का पाचन तंत्र ठीक से काम करना बंद कर देता है। इसके साथ ही डायरिया के प्रमुख कारणों में अस्वास्थ्यकर खाद्य पदार्थ, जीवाणु संक्रमण, दवा, स्टेरॉयड और सल्फा दवाओं का उपयोग शामिल है। डायरिया में उल्टियां और लूज मोशन होने से शरीर का पानी और नमक निकल जाते हैं। भारत में लगभग 5.1 प्रतिशत लोग हर साल पाचन विकार और लगभग 5.0 प्रतिशत लोग डायरिया का शिकार बनते हैं। स्‍वस्‍थ आहार और जीवनशैली के विकल्‍पों को बनाये रखकर इन समस्‍याओं को रोका जा सकता है।   

कैंसर

कैंसर एक ऐसी जानलेवा बीमारी, जिसकी चपेट में आकर हर साल हजारों लोग मौत की दहलीज पर खड़े होते हैं। भारत में लगभग 9.4 प्रतिशत लोग इस घातक ट्यूमर की चपेट में आते हैं। कैंसर ट्यूमर के विकास के कारणों में केमिकल और विषाक्त पदार्थों के संपर्क में आना और रोगजनक, जीन और विकिरण शामिल हैं। कैंसर को खतरे को कम करने के लिए तंबाकू के सेवन से बचना, स्‍वस्‍थ वजन और जीवन शैली को बनाए रखना, नियमित मेडिकल चेकअप और एंटीऑक्‍सीडेंट से भरपूर स्‍वस्‍थ आहार खाना बहुत महत्‍वपूर्ण होता है।

आत्म नुकसान/डिप्रेशन

आत्महत्या 15-29 आयु वर्ग के भारतीयों में मौत का दूसरा सबसे आम कारण है। भारत में कुल मौतों में से लगभग 3.0 प्रतिशत मौतों को कारण आत्‍महत्‍या है। आत्महत्या अक्सर निराशा के चलते की जाती है, जिसके लिए अवसाद, द्विध्रुवीय विकार, शराब की लत या मादक दवाओं का सेवन जैसे मानसिक विकारों को जिम्मेदार ठहराया जाता है। तनाव के कारकों में वित्तीय कठिनाइयां या पारस्परिक संबंधों में परेशानियों जैसी समस्‍याओं की भी भूमिका होती है। रोकथाम के तरीकों में तनाव राहत उपचार, पुनर्वास और परामर्श शामिल हैं।

मलेरिया

मलेरिया एक वाहक-जनित संक्रामक रोग है जो प्रोटोजोआ परजीवी द्वारा फैलता है। मलेरिया के परजीवी का वाहक मादा एनोफि‍लेज मच्छर है। इसके काटने पर मलेरिया के परजीवी लाल रक्त कोशिकाओं में प्रवेश कर बहुगुणित होते हैं जिससे एनीमिया के लक्षण जैसे  चक्कर आना, सांस फूलना, हृदय की धड़कन में असामान्य तेजी इत्यादि उभरने लगते हैं। इसके अलावा बुखार, सर्दी, उबकाई और जुकाम जैसी लक्षण भी देखने को मिलते हैं। गंभीर मामलों में मरीज मूर्च्छा में जा सकता है और मृत्यु भी हो सकती है। भारत में हर साल रोगों से होने वाली मौतों में लगभग 2.8 प्रतिशत लोग मलेरिया के शिकार बनते हैं। शोधों के अनुसार, देश की आबादी का लगभग 95 प्रतिशत लोग मलेरिया स्‍थानिक क्षेत्रों में रहते है। मलेरिया से बचाव के लिए अस्वास्थ्यकर स्‍थानों में रहते समय सावधानियां लेनी चाहिए और मच्‍छर को काटने से रोकने के लिए मच्‍छर भगाने वाले उपकरणों को उपयोग करना चाहिए।
  

कुछ ही दिनों में चेस्ट को परफेक्ट शेप देती हैं ये 7 एक्सरसाइज

अच्छी फीज़ीक के लिए शेप्ड चेस्ट का होना बेहद ज़रूरी होता है और इस पाने के लिए ज़रूरत होती है कुछ असरदार चेस्ट एक्सरसाइज! तो देर किस बात की आइए इस स्‍लाइड शो के माध्‍यम से जानते हैं।
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    बेहतरीन चेस्ट एक्सरसाइज

    जिम जाने वाले लोग आकर्षक और मज़बूत बॉडी पाने के लिए अनेक प्रकार की कसरत करते हैं, साथ ही तरह-तरह की डाइट भी लेते हैं। पर हर एक्सरसाइज हर इंसान को सूट नहीं करती। पुरुषों में गठा हुआ और मजबूत सीना पाने की बड़ी चाह होती है, जिसके लिए वे जिम में कमर तोड़ मेहनत भी करते हैं, लेकिन ऐसा आकर्षक और मजबूत चेस्ट पाने के लिए चेक्ट पर काम करने वाली कुछ चुनिंदा एक्सरसाइज करने व उसके साथ सही डाइट की ज़रूरत होती है। तो चलिए चेस्ट बनाने के लिए की जाने वाली विशेष एक्सरसाइज के बारे में जानते हैं।

    बेंच प्रेस

    सीने की सबसे पारंपरिक और प्रचलित कसरत यानी बेंच प्रेस सीने की मांसपेशियों को मजबूत करने में बहुत मददगार है। अगर आप कसरत में कोताही नहीं बरतते तो इस पर काम शुरू कर सकते हैं। बेंच प्रेस के लिए बेंच पर पीठ के बल लेटें और दोनों हाथों से बार्बेल को पकड़ें। 12 से 15 बार इसे उठाएं और नीचे लाएं। इससे सीने की मांसपेशियां मजबूत होंगे और सीना चौड़ा होगा।

    बारबेल बेंच प्रेस

    सीने में विस्तार व शेप लाने के लिए बेंच प्रेस वर्षों से सबसे बेहतरीन एक्सरसाइज रही है। दुनिया भर के विशेषज्ञों द्वारा बेंच प्रेस को चेस्ट शेप्ड व मज़बूत करने के लिए मानक एक्सरसाइज माना गया है। इसे करने के लिए एक मानक ओलंपिक बैंच पर अपनी पीठ के बल फ्लैट लेट जाएं, अब अपने पैरों को ज़मीन पर सीधे कर वज़न वाली रौड को स्टैंड से हटाएं और चेस्ट की ओर नीचे लाएं और फिर ऊपर ले जाएं। रौड का संतुलन बनाए रखने के लिए दोनों हाथों को साथ चलाएं।

    डंबल चेस्ट प्रेस

    अगर आप बार्बेल का इस्तेमाल नहीं करना चाहते हैं तो डंबल्स की मदद से भी चेस्ट एक्सरसाइज कर सकते हैं। इसे करने के लिए बेंच पर पीठ के बल लेटें और बार्बेल की जगह दोनों हाथों में डंबल्स लें। ध्यान रखें कि इसके लिए डंबल्स अधिक न झुकाएं।

    फ्लैट डंबल प्रेस

    चेस्ट को शेप देने के लिए फ्लैट डंबल प्रेस सबसे बेहतर एक्सरसाइज है। यह फ्लैट बेंच से इसलिए बेहतर है क्योंकि उसमें आपके हाथ एक सीमा से नीचे नहीं आते। बेंच करते वक्त रॉड जैसे ही आपकी चेस्ट से टच होती है आप उसे ऊपर की ओर धकेल देते हैं। वहीं डंबल प्रेस के मामले में आपकी चेस्ट पर कुछ आने जैसी बात ही नहीं होती। जितना आप डंबल को नीचे ले जाएंगे उतना प्रेशर आपकी चेस्ट पर बनेगा।

    डम्बल बेंच प्रेस

    डम्बल बेंच प्रेस एक्सरसाइज काफी कुछ फ्लैट डंबल प्रेस की तरह ही होती है। लेकिन डम्बल बेंच प्रेस अधिक सटीकता से छाती की मांसपेशियों पर काम करती है। इसे करने के लिए बैंच पर कमर के बल लेट जाएं और दोनों हाथों में डंबल उठा लें और कंधों पर ज़ोर डालते हुए उन्हें छाती की ओर लाएं और फिर ऊपर ले जाएं। इसके 8 से 10 रैप्स के 2 सेट करें।

    पुश अप्स

    पुश अप्स के अनेक पायदों में से एक फायदा यह भी है कि यह चौड़े सीने के लिए ऐसी कसरत है जिसे आप कहीं भी कर सकते हैं। पेट के बल फर्श पर लेट जाएं। दोनों हाथों के सहारे शरीर को ऊपर उठाएं और नीचे लाएं। इससे सीने की मसल्स बढ़ेंगी और बाजू मजबूत होंगे।

    डिक्लाइन बेंच प्रेस

    डिक्लाइन बेंच प्रेस भी सामान्य बेंच प्रेस की तरह ही होती है। इसे करने के लिए अडजैस्ट की जा सकने वाली प्रेस बेंच का उपयोग करें और फिर कमर के बल लेट कर बारबाल यूनिट को स्टैंड से हटाकर नीचे छाती की ओर लाएं और फिर वापस ऊपर की ओर ले जाएं।

    क्या खाएं और कितना खाएं

    चेस्ट कीएक्सरसाइज के साथ डाइट में 45 प्रतिशत कार्बोहाइड्रेट, 15 प्रतिशत फैट और 40 प्रतिशत प्रोटीन लें। लेकि हां इस बात का ध्यान ज़रूर रखें कि यह एक बेसलाइन है। शरीर की जरूरत के हिसाब से यह कम या ज्यादा हो सकती है। अपनी डाइट और एक्सरसाइज तय करने से पहले एक्सपर्ट की सलाह जरूर लें।

    आराम भी ज़रूरी

    सुबह से लेकर शरीरिक और मानसिक रूप से ईंसान व्यस्थ रहता है, और आराम नहीं कर पाता, जोकि उसके लिए बेहद ज़रूरी है। ख़ासतौर पर एक्सरसाइज करने के बाद तो शरीर को पूरा आराम मिलना ही चाहिए, ताकि एक्सरसाइज का पूरा लाभ मिल सके। अगर आप आठ घंटे की नींद नहीं ले पा रहे तो अच्छे नतीजे आना बड़ा मुश्किल है।सिर्फ 10 मिनट करें ये 4 आसान एक्‍सरसाइज, हमेशा रहेंगे फिट
    भागदौड़ भरी लाइफ में फिट रहना एक बड़ी चुनौती है। ऐसे समय में खुद को फिट रखना बहुत जरूरी है। अगर आपके पास जिम जाने का समय नही है। तो हम आपको 4 ऐसी एक्‍सरसाइज के बारे में बता रहे हैं, जिसे आप रोजाना कर सकते हैं।

    सिर्फ 10 मिनट करें ये 4 आसान एक्‍सरसाइज, हमेशा रहेंगे फिटभागदौड़ भरी लाइफ में फिट रहना एक बड़ी चुनौती है। ऐसे समय में खुद को फिट रखना बहुत जरूरी है। अगर आपके पास जिम जाने का समय नही है। तो हम आपको 4 ऐसी एक्‍सरसाइज के बारे में बता रहे हैं, जिसे आप रोजाना कर सकते हैं।

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    क्रंचेज

    • एब्स पैक निकालने के लिए क्रंचेज करें। इसके लिए जमीन पर पीठ के बल लेट जायें और पैरों को सीधा फैला लें। सिर के पीछे हाथों का सहारा देकर शरीर के ऊपरी भाग को उठायें। एब्स के लिए यह सबसे बेहतर व्यायाम है। लेकिन ध्यान रखें इससे डिस्क खिसकने का खतरा हो सकता है। इसलिए इसे ध्यान से करें। हालांकि इसमें कोई अतिरिक्त सजग रहने की जरूरत भी महसूस नहीं होती।

    स्‍क्‍वाट

    • पैरों की मांसपेशियों को मजबूत बनाने के लिए यह बेहतर वर्कआउट है। यह कई तरह का भी होता है। इसके नियमित अभ्यास से पैर की मांसपेशियां मजबूत होती हैं।

    पुशअप्‍स

    • पुश-अप्स सामान्‍य एक्सरसाइज में से एक हैं। पुश-अप न सिर्फ आपके सीने को मजबूत बनाता है बल्कि यह आपके एब्स, ट्राइसेप्स, कंधे और धड़ को मजबूत व अच्छा बनाने के लिए काम करता है। आइये जानें क्या है पुश-अप वर्कआउट और यह कैसे आपकी बॉडी को मजबूत और आकर्षक बनाता है। चेस्ट, कंधे और रीढ़ को मजबूत बनाने के लिए रोज पुश-अप्स करें। पुश-अप्स‍ करने से सीना चौड़ा भी होता है। यह सांसों की बीमारियों को भी दूर करता है।

    स्प्लिट स्‍क्‍वाट

    ऐसे करें एक्‍सरसाइज

    रोजाना 10 मिनट हंस लेने से दूर हो जाती हैं ये 5 बीमारियां

    • 'लाफ्टर इज द बैस्ट मेडिसन' यह तो आपने सुना ही होगा। तो आइये आपको बता दें कि हंसने से आपको कितने फायदे होते हैं, ताकी आप थोड़ा और खुल कर हंस सकें।
      • 'लाफ्टर इज द बैस्ट मेडिसन'
      • जब एक छोटी सी मुस्कराहट आपकी फोटो में चार चांद लगा देती है, तो जरा सोचिए कि खुल कर हंसने से आपको कितने फायदे होते होंगे। वो कहते हैं ना, 'लाफ्टर इज द बैस्ट मेडिसन'। ये बात सोलह आने सच है कि हंसी लाख मर्जों की एक दवा होती है। हंसने से न सिर्फ हमारा सेहत, बल्कि सूरत भी बेहतर होते हैं। लाफ्टर हमारे शरीर की मांसपेशियों, आंखों, जबड़े और हृदय की मांसपेशियोंको आराम देता है। लेकिन फिर भी न जाने हम जिंदगी की आपाधापी में हंसना क्यों भूल जाते हैं। तो आइये आपको बता दें कि हंसने से आपको कितने फायदे होते हैं, ताकी आप थोड़ा और खुल कर हंस सकें।

    • इन चारों एक्‍सरसाइज को 10 सेट्स और 10 रेप्‍स के साथ पूरा करना है। यानी हर सेट्स को 10 बार करें। इसे आप घर में भी कर सकते हैं। इन एक्‍सरसाइज को करने से आपकी पूरी बॉडी फिट रहेगी।
      इसे करने के लिए पहले लंच की स्थिति में आयें, इसमें एक पैर पीछे की तरफ होता है और दूसरा पैर आगे की तरफ 90 डिग्री मुड़ा होता है। दोनों हाथों को कमर पर रखें, फिर दोनों पैरों के सहारे कमर को ऊपर उठायें, एक पैर से इसे 10 बार दोहरायें, फिर यही क्रिया दूसरे पैर से भी करें। इस वर्कआउट को शुरूआत में बिना डंबेल करे करें बाद में डंबल लेकर करें।








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